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श्रुतसागर
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जनवरी-२०२० जैविकीय अपघटन
पाण्डुलिपियों को उष्ण कटिबंधीय देशों में जैविकीय कारक अत्यधिक हानि पहुँचाते हैं। शीतोष्ण जलवायु वाले देशों में यह समस्या कम है, परन्तु यहाँ भी थोड़ी बहुत मात्रा में वे अवश्य उपस्थित रहते हैं। अतः प्रकृति व जैविकीय अभिकर्मकों के उन गुणों से परिचित होना आवश्यक है। सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण जैविकीय संरचनाएँ- फफूंद, शैवाल, जीवाणु, खमीर, कीड़े, कोक्रोच(तिलचट्टे), सिल्वर फिश, पुस्तक-कृमि, चूहे तथा इन सब में सबसे अधिक विनाशकारी दीमक होते हैं। (क) फफूंद___ फफूंद कागज के साथ-साथ सभी कार्बनिक पदार्थो के विनाश का मुख्य कारण है। क्योंकि कागज कमजोर और आर्द्रता सोखने वाला होता है, उस पर फफूंद का प्रभाव आसानी से होता है। फफूंद का विकास तब होता है जब उसकी कोशिका या जीवाणु को अंकुरित होने के लिए सही पदार्थ मिलता है। यह आर्द्र अवस्था में अंकुरित होना प्रारम्भ कर देते हैं।
फफूंद के विकास के लिए सबसे अधिक अनुकूल वातावरणीय परिस्थितियाँ, 24°-30°C के बीच का तापमान, ६५ प्रतिशत आर्द्रता व कागज की अम्लीय स्थिति है। फफूंद की विभिन्न जातियाँ हैं, जो वातावरण की विभिन्न परिस्थितियों में विकसित होती हैं। उदाहरण के लिए एस्परजिलस व पेनीसिलियस की कछ जातियाँ १० प्रतिशत आर्द्रता में भी जीवित रह सकती हैं। इतना ही नहीं बल्कि यह कुछ ऐसे सूक्ष्म जीवों को भी सहायता प्रदान करती है, जिनमें ऐसे एन्जाइम उपस्थित होते हैं, जो कि सेल्यूलोज, स्टार्च, प्रोटीन व अन्य यौगिकों का अपघटन करते हैं। फफूंद के विकास के लिए कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, सल्फर, पोटेशियम, मैगनीज़ व कैल्शियम की आवश्यकता होती है। वे सभी यौगिक जिनमें कार्बन की उपस्थिति होती है, फफूंद से प्रभावित होते हैं। ___ फफूंद का विकसित होना चिपकाने व सजाने वाले पदार्थों पर भी निर्भर करता है, जिनका कागज पर प्रयोग किया जाता है। यह देखा गया है कि, सामान्यतया ऐसे कागज जिनका Potential of Hydrogen (pH)(प्रतों में इसे एसिडीटी नापने की कागज की पट्टी से मापा जाता है।) मान 5.5-6.0 के बीच होता है, वे फफूंद के आक्रमण का सरलता से प्रतिरोध कर सकते हैं।
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