Book Title: Shrutsagar 2020 01 Volume 06 Issue 08
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
26
श्रुतसागर
जनवरी-२०२० हती, जेमां तीर्थंकरदेवना जीवंत अने भारोभार त्यागजीवन- सत्य स्वरूपमा वर्णन हतुं। आ स्तुतिओ जीवनना तलने स्पर्शनार तेम ज भाववाही होई ए द्वारा एकांत जीवनविकासनी इच्छुक ते युगनी जनता महाविभूतिओना पुनित पंथे विचरी जीवनने वास्तविक स्तुतिमय बनावती हती। ___ परंतु कुदरतना अटल नियमने आधीन जगत अने जनता क्यारे पण स्थिरस्थायी नथी रह्यां, नथी रहेतां अने रहेशे पण नहि । देशकाळना पलटावा साथे जनसाधारणनी अभिरुचि बदलाई अने स्तुति-साहित्यना नवीन सर्जननी आवश्यकता आगळ वधी। परिणामे जैनधर्मना प्राण समा गणाता आचार्यश्री सिद्धसेन दिवाकर अने तेमनी समकक्षामां ज कदम राखनार स्वामी श्री समंतभद्राचार्य जेवा धर्मधुरंधर आचार्योने स्तुति-साहित्यना नवसर्जननी आवश्यकता जणाई अने ए आचार्य युगले गंभीरातिगंभीर, तात्त्विक ज्ञानपूर्ण स्तुति-साहित्यनो झरो वहाव्यो, जेनाथी जैनदर्शन अने जैनसाहित्य आजे गौरववतुं छे।। ___ उपर्युक्त बे महापुरुषोना स्तुतिसाहित्यनी तुलनामां मूकी शकाय एवा स्तुतिसाहित्यनो उमेरो करनार पाछला समयमां कलिकालसर्वज्ञ आचार्य श्री हेमचंद्र अने न्यायविशारद न्यायाचार्य महोपाध्याय श्री यशोविजयजी ए बे महापुरुषो खास ध्यान खेंचे छे, जेमणे गंभीर तत्वज्ञानथी भरपूर विपुल स्तुति-स्तोत्र, साहित्य सयुं छे।
आश्चर्य अने दिलगीरीने विषय ए छे के उपर्युक्त महापुरुषनी गंभीर कृतिओ तरफ आपणुं लक्ष्य जरा सरखंय जतुं नथी। अस्तु, आचार्य श्री सिद्धसेननी द्वात्रिंशिकाओ, स्वामी श्री समंतभद्रनुं स्वयंभू स्तोत्र, आचार्य श्री हेमचंद्रनी अन्ययोगव्यवच्छेदद्वात्रिंशिका, अयोगव्यवच्छेदद्वात्रिंशिका अने वीतरागस्तोत्र, न्यायाचार्य श्री यशोविजयोपाध्यायकृत वीरस्तुति, शंखेश्वर पार्श्वजिनस्तुति, प्रतिमा शतक, परमात्मस्वरूप पंचविंशतिका-आ बधी स्तुतिओनुं स्थान जैन साहित्यमां अति गौरवभर्यु छे, परंतु ए बधाने चर्चवानुं तेम ज तेनो परिचय आपवानुं आ स्थान नथी।
(क्रमशः) ["श्री जैन धर्म प्रकाश, सुवर्ण महोत्सव विशेषांक, चैत्र, सं. १९९१]
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36