________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
24
श्रुतसागर
जनवरी-२०२० छठइ दसकइ दियामणा, इंद्री सवि थाइरे। धर्म करुं इम चीतवइ, पण ते न कराइरे
॥२१॥चे०. साठि पछी चक्षु झामली, काने सुरति न जाइ रे। चित्ति काई नवि सांभरइ, अति आरति थाइरे
॥२२॥चे०... सित्तिरि पूठिइ डोसलउ, जराइ पीडाइरे। कोइ कहिउं पुण नवि करइ, नाकिं श्लेष्म ३ न माइ रे
॥२३॥चे०... असीय पछी छ बेवड चलइ, सहुइ करइ सूग रे । लाल पडइ आंखि गलइ, वली व्यापइ रोप रे
॥२४॥०.. तिऊ पछी खाटइ पडइ, पणि नींद्र न आवइ रे । खीजइ नइ खुंटुं करइ, नवि कोई बोलावइ रे
॥२५॥चे०... वहू तणे बोले बलउ, मरीइ इम ध्याइ रे। दूख पाहिं अलखामणु, कहिनइ न सुहाइरे
॥२६॥चे०... आय पहुतइ जीवडउ, पुहचइ परलोकि रे। सगासणीजां तेहनां, वली बइसइ शोकि रे
॥२७॥चे०... आउखइ थोडइ घणइ, दस भागि प्रवाहइ रे। एह अवस्था ऊपजइ, निश्चइ न कहाइ रे
॥२८॥चे०... माणस ना भव नीगम्या५, इम वार अनंत रे। धरम न जाणो जीवडा, भवमाहिं भमंत रे
॥२९॥चे०... परमेश्वर पूजा करी, सेवी गुरु साहु रे। श्री नन्नसूरि गुरु इम भणइ, लीजइ भव लाह रे
॥३०॥चे०... ॥इति माणस भव उत्पत्ति भास समाप्तः॥
__ शब्दकोश १. प्रवाही, २. परपोटा, ३. हथोडा, ४. माता, ५. दोहला, ६. जमण, नपुंसक, ७. रक्त, ८. रात ?, ९. सोय, १०. जे कारणथी, ११. प्रायः, १२. क्रीडा, १३. कफ, १४. सगा स्नेहीओ, १५. गया.
For Private and Personal Use Only