Book Title: Shrutsagar 2020 01 Volume 06 Issue 08
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 19
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 19 January-2020 ॥६।।मु०... ।।७।मु०... ॥८।।मु०... ॥९॥मु०... ॥१०॥मु०... ॥११।।मु०... SHRUTSAGAR बत्रीस कोडि सोवन दीइंजी, बत्रीस घरि परिवार। भोगवइ सुख दिन दिन नवां जी, देव परि मणु अवतार तिहां एक दिन गुरु आविआ जी, आरय सुहत्थि अणगार। वसति यावी सुभद्रा घरइ जी, रहइ मुनि सुकृत भंडार राति मुनिजन गणतइ सुणइ जी, नलिनीगुलम अधिकार। कुमर चितमाहिं इम चिंतवइ जी, पूरव भवि मइ सुण्यो सार इम ईहापो करतइ लहइ जी, जातिसमरण नर तेह। नलिनीगुलम सुख पेखिआ जी, पूरव भवि भोगव्यां जेह ते सुख तो हवइ हुं लहुं जी, जो तनुं एह जंजाल। इम घरी ऊपरिथी ऊतरइ जी, जाइ जिहां तेह मुनिपाल गुरुजी तुम वचनि वेरागीउ जी, द्यो मुज संयमभार। जहा सुहं सुणी व्रत आदरइ जी, तजी तृण जिम परिवार तेह दिनि गुरु कही चालीउ जी, साधवां आपणां काज। जइ मसाणभूइ काउसगं रहइ जी, अचल मन मुनि सिरताज ताम वनमाहिथी आविनइ जी, स्यालणी करइ उपसर्ग। चटचट चांबडी चूटती जी, बोडइ त्रटण सवर्ग सहइ परीसह अति आकरो जी, नलिनीगुलम एक ध्यांन। कालधरम करी उपनो जी, सुर पणइ तेणि विमान प्रात समइ मात सवि कामिनी जी, लही मुनिथी अवदात। दुख धरी मन करी आकरुं जी, ठामि निज कामि सहु जात एक भवि अंतरि शिव जसइ जी, धन अवंतीसुकुमाल। वीरथी सातमां पाटनइ जी, वारइ हुउ ते मुनिपाल घर सगर्भा वनिता तजी जी, तास सुत तेह वन ठामि। जैनप्रसाद सुपरइ कइ जी, महाकाल एहव नामि पंडित चक्र चूडामणी जी, श्रीजयविजय बुधराय। सेवक मेरु कहइ एहवा जी, साधु नमंता सुख थाय ॥ इति सज्झाय॥ ॥१२॥मु०... ॥१३।मु०... ॥१४॥मु०... ॥१५।।मु०... ॥१६।।मु०... ॥१७।।मु०... ॥१८॥ For Private and Personal Use Only

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