Book Title: Shrutsagar 2020 01 Volume 06 Issue 08
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
18
श्रुतसागर
जनवरी-२०२० ३) स्थूलिभद्र सज्झाय, ४) वल्कलचीरी सज्झाय, ५) मेतार्यमुनि सज्झाय, ६) जम्बूकुमार सज्झाय, ७) बाहुबली सज्झाय ८) पार्श्वजिन स्तवन, ९) अजितजिन स्तुति, १०) वासुपूज्यजिन स्तुति, ११) ज्ञानपंचमीपर्व स्तुति १२) १० प्रश्न प्रदेशीराजा सज्झाय, १३) २४ जिनस्तवन, १४) इरियावही सज्झाय,१५) दीपावलीपर्वचैत्यवंदन, १६) नवकारवाली सज्झाय, १७) नववाड सज्झाय, १८) नेमिजिन रागमाला, १९) पाक्षिकप्रतिक्रमणविधि सज्झाय २०) प्रतिक्रमणविधि सज्झाय, २१) मुहपत्तिबोल सज्झाय, २२) विजयराजसूरि सज्झाय, २३) सामायिक ३२ दोष सज्झाय, २४) धन्नाकाबंदी सज्झाय विगेरे प्रसिद्ध रचनाओ प्राप्त थाय छे। कर्तानो समय अन्य कृतिओना आधारे वि.सं. १८वी पूर्वार्धनी
आसपासनो लागे छे। ते सिवाय कर्ता विषे अन्य विशेष कोई माहिती प्राप्त थई नथी। प्रत परिचय __ प्रस्तुत कृतिनुं संपादन आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर कोबानी एकमात्र हस्तप्रत नं. ४९७२० ना आधारे करवामां आव्यु छ । मात्र एक ज पानानी प्रत छे, जेना अक्षर सुंदर अने सुवाच्य छे। हरतालथी संशोधित छे । पत्रनी एक तरफ १२ पंक्तिओ अने प्रतिपंक्ति ३५ अक्षरो छे अने बीजी तरफ १३ पंक्तिओ अने ३३ अक्षरो छे । प्रतनी स्थिति अने लेखनशैलीना आधारे तेनो समय वि.सं. १९वी अनुमानित कही शकाय छे।
अवंतिसुकुमाल सज्झाय
॥१॥
॥२॥मु०...
Mou ॥ ढाल वीर वखाणी राणी चेलणा जी ए देसी॥ श्रीजिनशासन नायको जी, धुरि नमी वीर जिणंद। गायस्युं मुनि महिमा निलो जी, अवंतीसुकुमाल मुणिंद मनिजन मन उपशम धरो जी. उपशम परम रसाल। उपशमथी सुख पामिइं जी, जिम अवंतीसुकुमाल नयरी उजेणी अति दीपती जी, राज करइ संप्रती भूप। तेणि पुरी एक भद्राभिधा जी, सारथवाही सरूप तास ऊअरि सुरलोकथी जी, चवी सुर लइ अवतार। नलिनीगुलम सुविमानथी जी, भोगवी सुर सुख सार जनमथी पुत्र सोभागीउ जी, पूरव पुण्य प्रमाण। यौवनवय परणावीउ जी, बत्रीस रमणी सुजाण
॥३।।मु०...
॥४॥मु०...
॥५।।मु०...
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36