Book Title: Shrutsagar 2020 01 Volume 06 Issue 08
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 16
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जनवरी-२०२० ॥२०॥ श्रुतसागर 16 श्रीविजयसेनसूरि परमभट्टारक, श्रीविजयतिलकसूरिराज। संघ चतुर्विध जेह]नि सोहइ, दिन दिन अधी(धि)क विराजइ शुभविजय पंडित पाय सेवी, लालविजय कहि तारो, देव दयापर पार उतारो, आवागमन निवारो ॥ इति ॥ शब्दकोश ॥२१॥ १. द्वीप, २. फळ्यो , ३. (वायुना) प्रचंड दबाणथी, ४. राणीओ, ५. दुःख दूर करनारी, ६. सैन्य साथे, ७. डरी जई, ८.नष्ट कर्यो, ९. पीठ बताडवी-पीछेहट करवी, १०. मारी, ११. जतो रह्यो, १२. नाश कर्यु, १३.खळभळी, १४ कर्मरूपी मेल, १५. नाश करे, १६. जेना वडे, १७. त्रिभुवनमां प्रियतम, १८. कपट, १९. तारे/ते, २०. आलोचना करी, २१.फरीयाद, २२. भाग्य, २३. जतो, २४. ठांसीने खावं, २५. अगवड भरेलं, २६. ठाम चोविहारमां, २७. ?, २८. अणगमतुं, २९. एक दत्ति= एक ज वारमां लीधेलु मोंमा एक बाजुज चावी खावू ते (?), ३०. वळ खावो(?) आळस खावी, ३१.शूळ= त्रास, ३२. चार उपवास, ३३. गणतरी करुं, ३४.?, ३५.?, ३६. द्विदळ, ३७. निश्चयथी, ३८. पृथ्वी पर, ३९. कपासमांथी बी छूटा पाडवारूप क्रिया, ४०. मोटा, ४१.?, ४२. लोढुं(?), ४३. गळी, ४४. अफीण, ४५.?, ४६. दारू, ४७.?, ४८. कुव्यापार, ४९.?, ५०. दया करवामां तत्पर, ५१. ना माटे. श्रुतसागर के इस अंक के माध्यम से प. पू. गुरुभगवन्तों तथा अप्रकाशित कतियों के ऊपर संशोधन, सम्पादन करनेवाले सभी विद्वानों से निवेदन है कि आप जिस अप्रकाशित कृति का संशोधन, सम्पादन कर रहे हैं अथवा किसी महत्त्वपूर्ण कृति का नवसर्जन कर रहे हैं, तो कृपया उसकी सूचना हमें भिजवाएँ, जिसे हम अपने अंक के माध्यम से अन्य विद्वानों तक पहुँचाने का प्रयत्न करेंगे, जिससे समाज को यह ज्ञात हो सके कि किस कृति का सम्पादनकार्य कौन से विद्वान कर रहे हैं? इस तरह अन्य विद्वानों के श्रम व समय की बचत होगी और उसका उपयोग वे अन्य महत्त्वपूर्ण कृतियों के सम्पादन में कर सकेंगे. निवेदक सम्पादक (श्रुतसागर) For Private and Personal Use Only

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