________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
January-2020
SHRUTSAGAR
मेरुविजयजी कृत अवंतिसुकुमाल सज्झाय
साध्वी दर्शननिधिश्रीजी प्रभुवीरनुं शासन २१,००० वर्ष सुधी अखंडितपणे चालवानुं छे । एमनी उज्ज्वळ परंपरामां अनेक महापुरुषो अने महासतीओ थई गया। भरहेसरनी सज्झायमां जेमनुं नाम लेवाय छे, एवा 'जंबुपहू वंकचूलो गयसुकुमालो अवंतिसुकुमालो' । आ अवंतिसुकुमाल प्रभुवीरनी सातमी पाटे थई गया एवं मेरुविजयजी म.सा. कहे छ।
महापुरुषो अने महासतीओना जीवनचरित्रो आपणने जीवन केवी रीते जीवq, जीवननी विषम परिस्थितिमा उपशमभाव केवी रीते राखवो तेमज अनुकूळताओ अने धनवैभवने छोडी प्रतिकूळताओ अने त्यागनो मार्ग केवी रीते अपनाववो ते शीखवे छे। ___कहेवत पण छे के, “हरिनो मारग छे शूरानो नहीं कायरनुं काम जो ने...” प्रभुनो मार्ग शूरवीरोनो मार्ग छे । कायरनुं त्यां कोई काम नथी। धर्ममार्गे पोतानी प्रचंड शूरवीरताने उजागर करनार महापुरुष अवंतिसुकुमालनी वात आ सज्झायमां करवामां आवी छ। कृति परिचय
प्रस्तुत कृति प.पू. श्री जयविजयजी ना शिष्य मुनि श्री मेरुविजयजी म.सा. द्वारा मारुगुर्जर भाषामां रचायेली छे। तेनी कुल १८ गाथाओ छ। आ लघुकृतिमां अवंतिसुकुमालना जीवनचरित्र अने साधनानुं सुंदर वर्णन छ। कर्ता द्वारा कृतिनी शरूआतमां ज प्रभुवीरने प्रणाम करतां जणावे छे के, ‘श्रीजिनशासन नायकोजी धुरि नमी वीर जिणंद....। ___ गाथा-२ थी १७ सुधी अवंतिसुकुमालना जन्म, विवाह, धनवैभव, गुरुनु आगमन, स्वाध्याय घोष, संयमना भाव, जातिस्मरण ज्ञान, रंगे-चंगे संयम स्वीकार, स्मशानभूमिमां कायोत्सर्ग ध्यान, घोर उपसर्ग छतां पण समताभाव, नलिनीगुल्म विमानमा उत्पत्ति, पुत्र द्वारा पिता-मुनिनी यादमां जिनप्रासाद- निर्माण विगेरेनुं रसाळ अने रोचक वर्णन करवामां आव्यु छ। गाथा नं. १८मां कर्ता कहे छे के एवा साधुने नमतां सुखनी प्राप्ति थाय छ। आ खरेखर अवंतिसुकुमालना जीवनने दर्शावती श्रेष्ठ कृति छ। कर्ता परिचय
आ कृतिना कर्ता तपागच्छीय पू. जयविजयजीना शिष्य मुनि श्री मेरुविजयजी छ। एनो उल्लेख कृतिना अंतिम गाथामां जोवा मळे छे। तेमनी स्तुति, स्तवन सज्झाय आदि लगभग २४ जेवीकृतिओमळे छे,जेमां१) वज्रस्वामी सज्झाय, २) अइमुत्तामुनि सज्झाय,
For Private and Personal Use Only