Book Title: Shrutsagar 2020 01 Volume 06 Issue 08
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 10
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर 10 जनवरी-२०२० कृति परिचय १. कर्पटवाणिज्यमंडण चिंतामणि पार्श्वनाथ स्तवन प्रस्तुत कृति कपडवंजना चिंतामणि पार्श्वनाथप्रभुना गुणवैभव गान करती रचना छे। अहीं कृतिकारे काव्यना मंगलाचरणमां 'मां' शारदाने नमस्कार करी अविरल वाणी आपवानी तेमने प्रार्थना करी छे । त्यारपछीना ७ पद्यो प्रभुना गुणोनी तथा प्रभुना दर्शनथी थता लाभोनी वर्णना छे। ढाळना अंत्यपद्यमां अग्निकुंडमांथी प्रभु पार्श्वनाथे उगारेला सर्पना धरणेन्द्र थयानी घटनानो उल्लेख करी कविए त्यारपछीनी मारूणी/ सामेरी रागनी बीजी ढाळना शरूआतना पद्यमां प्रभु पार्श्वना पुरुषादाणी स्वरूपनी वर्णना आलेखी छे । आ ढाळनी मुख्य वर्णना प्रभु वडे परास्त करायेल भावशत्रुओना स्वरूप चित्रणनी तथा केवळज्ञानी प्रभु पार्श्वनाथना स्मरणमात्रथी प्राप्त थता लाभोना सदृष्टांत निरूपणनी छ । काव्यनी छेल्ली ढाळ केदार रागनी छे । अहीं कविए प्रभु पासे पोतानी अविहड प्रीतिनुं बयान करता तेना फळस्वरूपे केवळज्ञाननी अने ते न मळे त्यां सुधी पद सेवनानी मांगणी करता काव्यर्नु समापन कर्यु छे । कृतिना अंते कर्ता माटे लख्यु छ केउवज्झाय विमलहरष सुंदर श्रीमुनिविमल वाचक गुणी, तस सीस पामइ पास नामइ भाव सख संतति घणी ॥२९॥ विमलहर्ष उपाध्यायना शिष्य मुनिविमल अने तेमना कोई शिष्य द्वारा रचना थई होय तेवू जणाय छे। २. आलोचनागर्भित झोटाणामंडण अजितनाथ-पार्श्वनाथ स्तवन प्रस्तुत कृतिना प्रथम पद्यमां कविए झोटाणांमंडण अजितनाथ अने पार्श्वनाथ प्रभुनी पासे आलोचना करी निर्मळ थवानी वात गुंथी छे । कोईक पाछला भवना पुण्यथी जीवने मानव भव, जैन कुळ तथा उत्तम सामग्री मळी होवा छतां धर्म अंगेनो कशो पुरुषार्थ न कर्यानो वलोपात कविए काव्यना बीजाथी चोथा पद्यमां करेलो जोवा मळे छे। ते ज रीते त्यारपछीना ६ पद्यो नवकारशी विगेरे पच्चक्खाण करवामां जीवे करेला प्रमादनी वर्णना आलेखता जोई शकाय छ। आ ज क्रमना आगळना ४ पद्योमां कवि कल्प्य-अकल्प्य खाद्य पदार्थनो विवेक न धरावता अने तेना सेवनथी बंधायेला दोषोनी तथा सामायिक, पौषधादिक व्रतोमां करेल आळसनी वातो रजू करे छे। त्यारपछी काव्यगत आलोचना वर्णनना अंत्य चरणमां कवि कुव्यापारथी बंधाता पापोनी, दीक्षा न लेवा आचरेला प्रपंचनी तथा देवलोक माटे करायेल नियाणानी आलोचना करवा द्वारा सर्व भूलोना प्रभु पासे एकरार करी छेल्ले स्वगुरूपरंपराना उल्लेख साथे 'आवागमन For Private and Personal Use Only

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