Book Title: Shrutsagar 2019 01 Volume 05 Issue 08 Author(s): Hiren K Doshi Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba View full book textPage 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर जनवरी-२०१९ आध्यात्मिक पदो आचार्य श्री बुद्धिसागरसूरिजी (गतांक से आगे) (हरिगीत छंद) व्यवहार निश्चय वेदना मर्मो लहे के ज्ञानीओ, गुरूगम विना कूटाय छे झघडा करी अभिमानीओ; अन्तर् करेली खोज तेने वेदविद्याओ मळी, एवी अमारी वेदनी छे मान्यता निश्चय खरी. अध्यात्म ज्ञानज वेद छे सहु वेदना पण अग्रणी, द्रव्यानुयोग ज वेद छे व्यवहार वेद शिरोमणि; समजाय साचुं ते ग्रहो कंकास ममता परिहरी, एवी अमारी वेदनी छे मान्यता निश्चय खरी. विश्वोन्नतिशांति प्रदा राष्ट्रीय जे जे कायदा, व्यवहारथी ते वेद छे जेथी थता जग फायदा; स्वातंत्र्य मळतुं सर्वने त्यां वेद विद्याओ फळी, एवी अमारी वेदनी छे मान्यता निश्चय खरी. स्वाश्रयपणुं ते वेद छे शुभ इच्छq ते वेद छे, धृतिकीर्ति कान्ति वेद छे ए पामतां नहि खेद छे; ममता कदाग्रह त्यागीने साचाविषे जावू भळी, एवी अमारी वेदनी छे मान्यता निश्चय खरी. व्यसनोविषे नहि वेद छे स्वार्थोविषे पण जाणवू, ज्यां न्याय साचो वर्ततो त्यां वेद छे मन मानवं; ज्यां न्याय त्यां सहु वेद छे समजो हृदयमां संचरी, एवी अमारी वेदनी छे मान्यता निश्चय खरी. जे जे प्रमाणिक मानवो ते वेद छे जग चालता, जे जीवता जगमां रहीने, विश्व जीव जीवाडता; For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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