Book Title: Shrutsagar 2019 01 Volume 05 Issue 08
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR January-2019 संपादकीय रामप्रकाश झा श्रुतसागर का यह अंक आपके करकमलों में समर्पित करते हुए हमें अत्यन्त प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। प्रस्तुत अंक में गुरुवाणी शीर्षक के अन्तर्गत योगनिष्ठ आचार्यदेव श्रीमद् बुद्धिसागरसूरीश्वरजी म. सा. की कृति “आध्यात्मिक पदो” की गाथा ९३ से १०४ तक प्रकाशित की जा रही है। इस कृति के माध्यम से साधारण जीवों को आध्यात्मिक उपदेश देते हए अहिंसा, सत्यपालन, आहारादि से संबंधित प्रतिबोध कराने का प्रयत्न किया गया है। द्वितीय लेख राष्ट्रसंत आचार्य भगवंत श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा. के प्रवचनों की पुस्तक 'Awakening' से क्रमबद्ध श्रेणी के अंतर्गत संकलित किया गया है, जिसके अन्तर्गत जीवनोपयोगी प्रसंगों का विवेचन किया गया है। ___अप्रकाशित कृति प्रकाशन के क्रम में इस अंक में सर्वप्रथम आर्य मेहलप्रभसागरजी म. सा. के द्वारा सम्पादित “१२ भावना सन्धि" प्रकाशित की जा रही है। श्री जयसोम गणि ने कुल ७२ गाथाओं की इस कृति में मन को एकाग्र करने हेतु अनित्यादि बारह भावनाओं का परिचय प्रस्तुत किया है। द्वितीय कृति के रूप में आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर के सुज्ञ पंडितप्रवर श्री गजेन्द्र शाह के द्वारा सम्पादित “वरतीपुरमंडन श्रीमल्लीजिन स्तवन" प्रकाशित किया जा रहा है। श्री कीर्त्तिउदय गणि ने कुल १४ गाथाओं की इस लघु कृति के माध्यम से १९वें तीर्थंकर श्री मल्लिनाथजी की स्तवना की है। ____ पुस्तक समीक्षा के अन्तर्गत इस अंक में श्रुतभवन संशोधन केन्द्र, पूणे से ई. २०१५ में प्रकाशित तथा मुनि श्री वैराग्यरतिविजयजी म. सा. के द्वारा सम्पादित उपाध्याय श्रीचारित्रनन्दी की स्वोपज्ञ कलिकाप्रकाश वृत्ति से विभूषित “स्याद्वादपुष्पकलिका” की समीक्षा प्रस्तुत की जा रही है। पुनःप्रकाशन श्रेणी के अन्तर्गत बुद्धिप्रकाश, पुस्तक ८२ के प्रथम अंक में प्रकाशित “सोलमा शतकनी गुजराती भाषा” नामक लेख का गतांक से आगे का भाग प्रकाशित किया जा रहा है। इस लेख के माध्यम से सोलहवीं सदी की रचनाओं में प्रचलित गजराती भाषा के स्वरूप तथा उच्चारणभेद का वर्णन किया गया है। श्रुतसागर के प्रस्तुत अंक में इस लेख का पुनः प्रकाशन किया जा रहा है। हम यह आशा करते हैं कि इस अंक में संकलित सामग्रियों के द्वारा हमारे वाचक अवश्य लाभान्वित होंगे व अपने महत्त्वपूर्ण सुझावों से हमें अवगत कराने की कृपा करेंगे, जिससे आगामी अंक को और भी परिष्कृत किया जा सके। For Private and Personal Use Only

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