Book Title: Shrutsagar 2019 01 Volume 05 Issue 08
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
SHRUTSAGAR
January-2019 मनातुं नथी कारण के जो एम होय तो रो, रा, रुना प्रयोयो साथे होय ते नथीः रंग बिरंगी मूहगइ मूलि पहिरइ एक कणयरी अलि।
(सदर. पा. ७५. कडी ४८) स्वरयुग्म संबंधे अने जोडणी चर्चा विषे जुओ
श्री नरसिंहराव Lectures LL P 30-31. अइना ए थयानां सोळेक स्थळो कान्हडदेमांथी टांक्यां छे।
वछना मृगांकलेखारासमांथी अवतरणो आपुं छु। आ काव्य पण सोळमाना पूर्वार्धमां लखायु छ । अउनो ओ थवा विषे चर्चा आ काव्यनी सं. १५८२नी हाथप्रतर्नु अवतरण लई आ लेखना प्रथम भागमा विवेचन कर्यु छ । स्वरयुग्म अइ=इ अने अइ क्रियापदना वर्तमानकाळना लीजा पुरुष, एकवचनमां मालूम पडे छे; ज्यारे तृतीया अने सप्तमी एकवचननां नाम तथा सर्वनामनां रूपमां ठेरठेर ए मालूम पडे छ । आज्ञार्थ बीजो पुरुष एक वचनमां पण इने स्थाने ए छे। बीजी साल वगरनी प्रत रूढ अने शिष्ट लेखनप्रकारे लखाई छे; हाथपोथीनो अक्षरमरोड सुंदर होई तेमां तत्कालीन लौकिक लेखनप्रकार मालूम पडतो नथी। आरास सोळमा सैकाना पूर्वार्धनो छे ते माटे नीचेना पूरावा छे।
कन्हलि=पासे कुमरकन्हलि तव आवीड मंत्री मुख निरखिइ। (कडी ३४९) थउ उपरथी. कुमर तुरियथउ ऊतरिउ मिलि मारगि चालइ। (कडी ३५४) कहीइं प्रीइं पसाउ न करिउ कहिसिइ गरभ किहांथउ धरिउ। (कडी १६२) रइं = रहइँ =ने अम्हरइं चडी अपूरव नारि । (कडी. २३८)
केटलीक हाथप्रतोमां अम्हनइं पाठ जडे छे; ए बतावे छे के जूनी शैली केवी रीते लहिआ तरफथी बदलवामां वती हती.
लगइ मांथी कटक लगइ सहू संवल दीध । (कडी. १८२) रेसि माटे
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36