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आगमसार.
जीव सिद्ध छे केमके सर्व जीवना आठ रुचक प्रदेश सिद्ध समान निर्मल छे माटे संग्रहनय कहे जे सर्व जीवनी सत्तासिद्ध समान छे एणे पर्यायार्थिक नयेकरी कर्म सहित अवस्था ते टालीने द्रव्यार्थिकनकरी अवस्था अंगीकार करी तेवारें व्यवहारनय बोल्यो जे विद्या लब्धि प्रमुख गुणे करी सिद्ध थयो ते सिद्ध. ए नये बाह्य तप प्रमुख अंगीकार करया. हवे ऋजुसूत्रनय बोल्यो के जेणे पोताना आत्मानी सिद्धपणानी सत्ता ओलखी अने ध्याननो उपयोग पण तेज वर्ने छे ते समये ते जीव सिद्ध जाणवो. ए नये समकीति जीव सिद्ध समान छे एम कयु हवे शब्दनय बोल्यो जे शुद्ध शुक्ल ध्यान परिणाम नामादिक निक्षेपे ते सिद्ध. तेवोरें समभिरूढनय बोल्यो जे केवलंज्ञान केवलदर्शन, यथाख्यातचारित्र ए गुणे सहित ते सिद्ध जाणवा. ए नये तेरमा चउदमा गुणठाणाना केवलीने सिद्ध कह्या अने एवंभूतनय कहे छे के जेना सकल कर्म क्षय थया लोकने अंते विराजमान अष्टगुण संपन्न ते सिम जाणवा. ए रीते सिक पदे सात नय कद्या. एम सात नय मिल्या समक्रीति छे अने जे एक नयने ग्रहण करे ते मिथ्यात्वी छे. ए साते नय सिक ते वचन प्रमाण छे अने ए सात नयमां कोइ पण नयने उथापे तेनुं वचन अग्रमाण छे.
हवे प्रमाणनो विचार कहे छे. प्रमाणना बे भेद छे. एक प्रत्यक्ष प्रमाण बीलु परोक्ष प्रमाण तेमां जे जीव पोताना उपयोगथी द्रव्यने जाणे ते प्रत्यक्ष प्रमाण कहिये. जेम केवली छ द्रव्य प्रत्यक्ष प्रमाणे जाणे तथा देखे ते माटे केवलज्ञान ते सर्वथी प्रत्यक्ष ज्ञान छे, अने मनः पर्यवज्ञान ते मनोवर्गणा प्रत्यक्ष जाणे तथा अवधिज्ञान ते पुद्गल द्रव्यने प्रत्यक्ष जाणे.
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