Book Title: Shatrunjay Bhakti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan

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Page 3
________________ भूमिका हिन्दी संस्करण-द्वितीय आवृति की सुविज्ञ पाठको! "शत्रुजय भक्ति" के हिंदी संस्करण की द्वितीय आवृति आपके हाथों में हैं। आप शत्रुजय तीर्थ की यात्रा करने को पधारें या कार्तिक पूर्णिमा के दिन शत्रुजय पट के सामने भाव यात्रा करें। मगर पांच चैत्यवंदन को विधी नितान्त आवश्यक है। तलेटी, शांतिनाथ प्रभ, रायण पगला, पुंडरीक स्वामी आदिनाथ प्रभु के चैत्यवंदनादि की यह पहली एक मात्र ऐसी कितान है जिसमें सब स्थानों के सम्पूर्ण अनुरुप स्तुति चैत्यवंदन स्तवन थुई का संग्रह किया गया है। इसके साथ ही घेटी पगला का चैत्यवंदन २१खमासमण और १०८ खमासमण भी आपको इसमें मिलेंगे। २ वर्ष के अल्प समय में इसकी हिन्दी और गुजराती में प्रकाशित इसकी ८००० प्रतियां हमारे प्रयास की सफलता का प्रमाण है। तीर्थ आराधना करके हमारा पुरुषार्थ सफल बनावें। मेहता प्र. जे. अभिनव श्रुत प्रकाशन प्रधान डाक घर के पीछे जामनगर 361001 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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