Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 02
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 255
________________ ... . // 1211 // // 1212 // // 1213 // // 1214 // // 1215 // आलू तह पिंडालू हवंति एए अणंतनामेणं / / अण्णमणंतं नेयं लक्खणजुत्तीइ समयाओ गूढसिरसंधिपव्वं सच्छीरंजं च होइ निच्छीरं / समभंगं छिनरुहं साहारणसरीरयं जाण इंगाली वणसाडी भाडी फोडीसु वज्जए कम्मं / वाणिज्जं चेव दंत-लक्ख-रस-केस-विस-विसयं एवं खु जंतपील्लण-कम्मं निलंछणं च दवदाणं / सरदहतलायसोसं असइपोसं च वज्जिज्जा जं इंदियसयणाई पडुच्च पावं करेज्ज सो होइ / अत्थे दंडे इत्तो अन्नो उ अणत्थदंडो य तह वज्झाणायरियं पावोवएसं च हिंसदाणाई / चउत्थं पमायचरियं अवज्झाणं अट्टरुद्देहिं सत्थग्गिमुसलजंतग तणकट्ठे मंतमूलभेसज्जे / दिन्ने दवाविए वा हिंसप्पयाणमणेगविहं न्हाणुव्वट्टणवन्नग-विलेवणे सद्दरूवरसगंघे / . वत्थासणआभरणे पावुवएसमणेगविहं कुक्कुइयं मोहरियं भोगुवभोगाइरेगकंदप्पा / जुत्ताहिगरणमेए अइआरा णत्थदंडवए सामाइअं करितो पंचुवगरणाइसंजुओ सड्ढो / मुहपत्ती रयहरणं अक्खा दंडाण पुंच्छणगं सावज्जजोगविरओ तिगुत्तो छसु संजओ / उवउत्तो य जयमाणो आया सामाइयं होइ जो समो सव्वभूएसु तसेसु थावरेसु य / .. तस्स सामाइयं होइ इमं केवलिभासियं // 1216 // // 1217 // // 1218 // ठिणगं // 1219 // // 1220 // // 1221 // 246

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