Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 02
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 276
________________ अबद्धआउयाणं मणुयाणं खाइयं खु सेणिगयं / तब्भवियं परभवियं पुव्वनिबद्धाउयाणं च / // 1462 // भवणवणजोइसंखाउयंसन्निपणिदितिरियजीवाणं / / पंकाइनारयाणं परतब्भवखाइयं णत्थि // 1463 // इगबितिचउरअसण्णि-पणिदिजीवाणमेगमवि सम्मं / तब्भवियं न हविज्जइ परभवियं पुव्वभणियाणं // 1464 // उवसमखायगवेयय अपुग्गलाई च तह अवेइयाइं / पुग्गलवेयं खाओवसमं तेणित्ति तद्दिट्ठी // 1465 // उवसमपुग्गलजणियं भणियं जं तत्थ सहियसासाणं / उभयविहीणं विवागपएसवेयणपसाहिकमं // 1466 // तम्हा मिच्छत्तखए बंधो दुविहो हविज्ज कम्माणं / मिच्छ अणनिरणुबंधा हेऊणो साणुबंधन्ने // 1467 // जइ वि हु अविरइकसायजोगाईयाण हेऊणो बंधो / हुज्जाऽमंदमंदो मंदयरो तग्गुणप्पभवो . // 1468 // तम्हा परमं सल्लं परमविसं परमबंधपच्चइयं / अवितहजोएहिं सया मिच्छं हेयं सहावेहिं // 1469 // भवविरहहेऊ जिणमय-निस्संदं परमदिट्ठिवायसंपुन्न / भव्वाणुभव्वभावुय-नंदणवणजलहरं सम्मं . // 1470 / / आराहणाहियारो अह भण्णइ सयलपावकम्माणं / जीवा विविहा वुत्ता सम्मद्दिट्ठी वि मिच्छा वा // 1471 / / जा जिणवयणे जयणा विहिकरणं दव्वपमुहजोगेहिं / सा धम्माराहणा खलु विराहणा ताण पडिसेहो // 1472 // नमिऊण जिणं वीरं मोहारिनिसूयणे महावीरं / आलोयणचक्कनिहणियकम्मनिवलद्धजयकेउं // 1473 // ૨કo

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