Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 02
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 283
________________ सो आणाववहारो सामन्नेणित्थ दिज्जमाणो वि। गीयत्थदत्तपायच्छित्तं विण्णाय जं बद्धं // 1546 // तं पुरओ कट्टिज्जा सरिसासरिसे वि दंव्वपच्छिते / / जं दिज्जइ लिहियमत्तं ववहारो धारणारूवो // 1547 // जं बहुगीयत्थेहिं आइन्नं तं जीयं समावण्णं / / देसाइसव्ववहार पुरओ कारिज दिज्जिज्जा. // 1548 / / तत्थ य दुविहा विरई देसे सव्वे य गंठिभेयपरा / अण्णा विरईअविरई-भवाणुबंधीण सा होई // 1549 / / . जत्थ य दंसणमूला उक्किट्ठालोयणा वि लहु पयया / जा मिच्छत्तयमूला लहु वि उक्किट्ठपयकलिया // 1550 // उक्किट्ठउक्किट्ठ उक्किट्ठ मज्झिमं च उक्किटुं / जहण्णं पुणमिक्किक्कं तिविहं तं नवविहं हुंति // 1551 // दंसणनाणचरित्तं सइ सामत्थे तवे य वीरियए। सव्वं विगंचिऊणं दायव्वं तं बहुसुएहि // 1552 // नामलिवी आवत्ती दाणं विस्सोवगओ विनेयं / एए पंचठाणा नीवीपुरिमाएसु जोइज्जा // 1553 // पणगं 1 मासलहुं 2 तह मासगुरु 3 चउलहुं च 4 चउगुरुयं 5 / छल्लहुयं 6 छग्गुरुयं 7 कल्लं 8 पणकल्ल 9 मूलं 10 च // 1554 / / निव्विगयं 1 पुरिमटुं 2 इगभत्तं 3 च अंबिलि 4 चउत्थं च / छटुं६ च अट्ठमं७चिय दो 8 दस 9 उववास असीइसयंदसमं 10 // 1555 // पणगं च 1 भिन्नमासो 2 निव्वीए मुक्कलं च पोल्लरयं / . दुतिचउआहारेसु सुहयं दुहयं निराहारं // 1556 // निव्वी य पुरिमेगभत्तं अंबिलखवणं च छट्ठअट्ठमयं / . इइ य सत्त तवा जीयट्ठाणे ववहरंति - // 1557 // 274

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