Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 02
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ // 80 // // 81 // // 82 // . // 83 // लोकायता वदन्त्येवं नास्ति देवो न निर्वृतिः / धर्माधर्मों न विद्यते न फलं पुण्यपापयोः एतावानेव लोकोऽयं यावानिन्द्रियगोचरः / भद्रे वृकपदं पश्य यद्वदन्ति बहुश्रुताः पिब खाद च जातशोभने यदतीतं वरगात्रि तन्न ते / न हि भीरु गतं निवर्तते समुदयमात्रमिदं कलेवरम् किञ्च पृथ्वी जलं तेजो वायुर्भूतचतुष्टयम् / चैतन्यभूमिरेतेषां मानं त्वक्षजमेव हि / पृथ्व्यादिभूतसंहत्यां तथादेहादिसंभवः / . मदशक्तिः सुराङ्गेभ्यो यद्वत्तद्वत्स्थितात्मता तस्मादृष्टपरित्यागाद्यददृष्टे प्रवर्तनम् / / लोकस्य तद्विमूढत्वं चार्वाकाः प्रतिपेदिरे साध्यावृत्तिनिवृत्तिभ्यां या प्रीतिर्जायते जने / निरर्था सा मते तेषां सा चाकांशात्परा न हि . लोकायतमतेऽप्येवं संक्षेपोऽयं निवेदितः / अभिधेयतात्पर्यार्थः पर्यालोच्यः सुबुद्धिभिः // 84 // // 85 // // 86 // // 87 //

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