Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 02
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

View full book text
Previous | Next

Page 287
________________ उक्किटुं चउसुहगं मज्झिममारोग्गजहन्नयं पुरिमं / / अहवा हुंति विसोया सड्डाण दंसणजुयाणं // 1595 // वयभंगे पुण एवं कुतित्थिनमणप्पसंससंथवणे / इच्चाईण विभासा णायव्वा सम्मदिट्ठीहिं // 1596 // सड्डाणं मुणिभवणे उक्किट्ठा मज्झिमा दविणचाए / बंभव्वयधरणे पुण जहन्नया सव्वपच्छित्ते // 1597 // साहूण भत्तपच्चक्खाणे करणे विगिट्ठतवकरणे / विगईण परिच्चाए नायव्वा ओमजहणा य // 1598 // अइयारेसु अइक्कमवइक्कमे तह पुणो अणायारे / मालातुलापलंबापभिइभेएण दायव्वा // 1599 // इगकन्ना दुगकन्ना तिगकन्ना चउय पंचकन्ना य / छगकन्नाइकमेणं मणवयणाइक्कमाईसु' // 1600 // नमुपोपुरिमावड्डइगदुतिअं खु पोल्लरं पुण्णं / इच्चाइ चउत्थाइ. दायव्वं तणूंण अइकमणे . // 1601 // नियपरतित्थयसड्ढासड्डसहासहनायमन्नाए / जोग्गमजोगोग्गमहा जं पउंजियव्वं विसोहिपयं // 1602 // अरिहंतसिद्धपवयण-आयरिया थेरसाहुवज्झाया / चेइयपडिमाईण-मवनवाई मइकुडिला // 1603 // तेसिमासायणा आणा-भंगाइअणेगदोससंकिट्ठा / जे तेसि पवयणस्स य बाहिरा एव पच्छित्तं // 1604 // इच्चाइभावसल्लं उद्धरणं जेहिं भावओ न कयं / . तेसिमणुट्ठाणं पुण दव्वाइदोसपरिकलियं // 1605 // जो एयं निस्सल्लत्तं सम्मं काऊण सुगुरुपयमूलें। सत्तीए भत्तीए बहुमाणं जे पउंजंति // 1606 // 208

Loading...

Page Navigation
1 ... 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310