Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 02
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ // 44 // = = // 45 // // 46 // // 47 // // 48 // = // 49 // एवं सांख्यमतस्यापि समासः कथितोऽधुना / जैनदर्शनसंक्षेपः कथ्यते सुविचारवान् जिनेन्द्रो देवता तत्र रागद्वेषविवर्जितः / हतमोहमहामल्लः केवलज्ञानदर्शनः सुरासुरेन्द्रसंपूज्यः सद्भूतार्थोपदेशकः / कृत्स्नकर्मक्षयं कृत्वा संप्राप्तः परमं पदम् जीवाजीवौ तथा पुण्यं पापमाश्रवसंवरौ / बन्धश्च निर्जरामोक्षौ नव तत्त्वानि तन्मते तत्र ज्ञानादिधर्मेभ्यो भिन्नाभिन्नो विवृत्तिमान् / शुभाशुभकर्मकर्ता भोक्ता कर्मफलस्य च चैतन्यलक्षणो जीवो यश्चैतद्विपरीतवान् / अजीवः स समाख्यातः पुण्यं सत्कर्मपुद्गलाः पापं तद्विपरीतं तु मिथ्यात्वाद्याश्च हेतवः / . यस्तैर्बन्धः स विज्ञेय आश्रवो जिनशासने . संवरस्तन्निरोधस्तु बन्धो जीवस्य कर्मणः / अन्योऽन्यानुगमात् कर्मसंबन्धो यो द्वयोरपि बद्धस्य कर्मणः शाटो यस्तु सा निर्जरा मता / आत्यन्तिको वियोगस्तु देहदिर्मोक्ष उच्यते एतानि तत्र तत्त्वानि यः श्रद्धत्ते स्थिराशयः / सम्यक्त्वज्ञानयोगेन तस्य चारित्रयोग्यता तथाभव्यत्वपाकेन यस्यैतत्त्रितयं भवेत् / सम्यग्ज्ञानक्रियायोगाज्जायते मोक्षभाजनम् प्रत्यक्षं च परोक्षं च द्वे प्रमाणे तथा मते / अनन्तधर्मकं वस्तु प्रमाणविषयस्त्विह 289 // 50 // = // 51 // = // 52 // = // 53 // // 54 // // 55 //

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