Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 02
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ हत्थु 3 त्तर 3 सवणतिगं 3 रोहिणी 2 रेवइ 2 पुणव्वसूण 2 दुगं। अणुराहसमं भणिया सोलस आलोयणारिक्खा // 1474 / / आलोयणातिहीओ नंदा भद्दा जया य पुण्णा य / / रविससिबुहगुरुसुक्का वारा करणाणि विठिविणा // 1475 // सूरे धणुमीणगए गुरुहरिविटे य गंडविइवाए / अण्णे वि असुहजोगा सोहिपयाणे परिच्चाया // 1476 // . वसहिं पवेयइत्ता वासावासं तहा विवज्जित्ता / कयसम्मत्तविसुद्धी जिणगुरुठवणायरियाण पुरो // 1477 // आलोयणाणिमित्तं गीयत्थगवेसणा य उक्कोसा / . . जोयणसयाई सत्त उ बारस वासाइ कायव्वा // 1478 // गीयत्थो संविग्गो अपक्खवाओ अवज्जभीरू य / मूलुत्तरगुणसुद्धो मुणियपवयणरहस्सो ये // 1479 // जुग्गाजुग्गगवेसण-बालतरुणाइवुड्डसामत्थो / जो कुसलो सव्वत्थे आलोयणदायगो स मुणी . // 1480 // तह भावे संविग्गो गीयत्थो जो अवज्जसज्जगुणो। संभोगी असंभोगी तयभावे होइ सारूवी // 1481 // तयभावे पच्छाकड-ससिहो वा सिद्धपुत्तय सदारो / सामाइय दाऊणं तप्पुरओराहणा कुज्जा // 1482 // तयभावे वि हु जत्थ य जक्खाययणं पुराणमिज्जजणं / जिणगणहरसाइसया-रियाइ पव्वं ठियावासं // 1483 // पुव्युत्तरदिसिसंमुहो विदिसं उत्तरपुरथिमाभिमुहो। पागडियसव्वसल्लो पुरट्ठिओ भणइ विणयपरो // 1484 // पुत्तिं पमज्जिऊणं काऊ किइकम्मचेइवंदणयं। . वासट्ठावणपुव्विं अइयारा सव्व भणियव्वा // 1485 // 28

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