Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 02
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 267
________________ झाणपडिवत्तिकम्मो होइ मणो जोगनिग्गहाईओ / भवकाले केवलिणो सेसम्मि जहासमाहीए . // 1354 // . आणाविजयमवाए विवागसंठाणओ वि नायव्वा / एए चत्तारि पया झायव्वा धम्मझाणस्स // 1355 // सुणिऊणमणाइनिहणं-भूअहियं भूयभावणमहग्धं / अमियमजियं महत्थं महाणुभावं महाविसयं // 1356 // झाइज्जा निरवज्जं जिणाण आणं जगप्पईवाणं / अनिउणजणदुन्नेयं नयभंगप्पमाणगमगहणं-- // 1357 // . तत्थ य मइदुब्बलेणं तब्विहायरियविरहओ वा वि। . नेयगहणत्तणेण य नाणावरणोदएणं च // 1358 // हेऊदाहरणसंभवे वि सइ सुट्ठ जं न बुज्झिज्जा / सव्वन्नुमयमवितहं तहा वि तं चितए मइमं // 1359 // अणुवकयपराणुग्गहपरायणा जं जिणा जुगप्पवरा / जियरागदोसमोहा य ननहावाइणो तेणं // 1360 // सव्वनईणं जा हुज्ज वालुया सव्वोदहीण जं उदयं / इत्तो वि अणंतगुणो अत्थो इक्कस्स सुत्तस्स // 1361 // जिणवयणमोअगस्स उ रत्तिं च दिया य खज्जमाणस्स / तत्तिं बुहो न वच्चइ हेउसहस्सोवगूढस्स // 1362 / / नरनिरयतिरियसुरगणसंसारियसव्वदुक्खरोगाणं / जिणवयणमागमोसहमपवग्गसुहक्खयप्फलयं // 1363 // रागद्दोसकसायासवाइकिरियासु वट्टमाणाणं / इह परलोगावाए झाइज्जावज्जपरिवज्जं // 1364 // पयइठिइपएसाणु-भावभिन्नं सुहासुहविहत्तं / .. जोगाणुभावजणियं कम्मविवागं विचिंतिज्जा // 1365 // 258

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