Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 02
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
View full book text
________________ मियसुंदरी उ लोए अणट्ठदंडम्मी वीरसेणनिवो / सामाए धणमित्तो धणदो देसावगासम्मि // 1270 // पोसहवयम्मि हु देवकुमरो तह पेयकुमरदिता / गुणधरगुणाकराणं दिटुंता अइहिसंभागे // 1271 // आहारभयपरिग्गह मेहुण तह कोह माण मायाए / लोभे लोगे ओघे सन्नदस भेया सव्वजीवाणं // 1272 // रुक्खाण जलाहारो समिच्च सत्थं भएण संकुचए / नियतंतेहिं वेढइ वल्ली रुक्खं परिग्गहेइ // 1273 // कुरुंबयतरुणो .फुल्लंति जत्थ आलिंगण तरुणीणं / तरुणीपयोहरपुट्ठा असोयतरुणो वि वियसंति // 1274 // तरुणीमइरागंधेण तोसिया केसरा वि कुसुमंति / चंपयतरुणो वरुणो फुलंति सुरहिजलसिच्चा // 1275 // वियसंति तिलयतरुणो तरुणिकडक्खेहिं पडिहया जत्थ / फुलंति विरहरुक्खा सोऊणं पंचमुग्गारं . // 1276 // सिणगार चारुवेसो तरुणीतंबोलसंमओ तारो। पायं कोकणदस्स कंदो हुंकारो मुयइ कोहेण // 1277 // माणे झरइ रुयंती च्छायई वल्ली फलाण मायाए / लोहे बिल्लपलासा ठवंति मूले निहाणुवरि // 1278 // रयणीए संकोओ कमलाणं होइ लोगसण्णाओ / ओहे चइत्तु मग्गं चढंति रुक्खेसु वल्लीओ. // 1279 // एगिदियजीवाण वि इय दस सन्ना जिणेहिं पण्णत्ता / न हु हुंति. मोहसुहदुह-वितिगिच्छासोगधम्माय // 1280 // सन्नाणं लेसाणं भेओ वा अत्तवेयणा सण्णा / सा दुविहा जीवाणं सुद्धासुद्धा य वीरियभवा // 1281 // ૨પ૧

Page Navigation
1 ... 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310