Book Title: Sankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 05
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 8
________________ PRA M '.. Fore . . स्व० सौ. सविताबाई स्मारक ग्रंथमाला नं. १२ हमारी दि. धर्मन्त्री सौ मविताबाई वीर सं. १४५६ में (२० वषे हुए ) सिर्फ २२ वर्षको आयुमें एक पुत्र चि० माई (बो १६ वर्षका होकर ८ साल हुए स्वर्गवासीगण है) और एक पुत्री चि. दमयंतीको १॥ वपकी छडकर स्वर्गवासिनी हुई था उस समय उनके स्मरणार्थ हमने २६२२) का दान किया था जिमसे २...) स्थायी शानदानके लिये निकाले थे जिसमे हम ग्रन्थमालाकी स्थापना हुई है। इस अन्यमालाको ओरसे आज तक निम्न लिग्वित ११ अंग प्रकट सेकर वे दिगम्बर न' या जैन महिला' के प्राहकोंको भेट दिवे गजुके है ५-ऐतिहासिक सियां (. चन्दाबाजी कत) ... ॥) २-सं० जन इतिहास हि खंड (न०कामताप्रसाद) m) -पंचरत (बा. कामताप्रसादजी हत) ... ... ) "-40 जैन इतिहास (हि.भाग विर) ... ५-पार पाठावलि (बाल कामताप्रसादजी) ... ... la) १-नत्व (मपीक वि. शाह) ... ... ... .)

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