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२६] संक्षिप्त जैन इतिहास । छत्रपवंशमें नहपानके अतिरिक्त उपरात छत्रप रुद्रदामनके
____पुत्र रुद्रसिंह जैनी होना सभव है । उसने छत्रप रुद्रसिंह जैनी । सन् १८०से १९६ ई०तक राज्य किया था।
उसका एक लेख चैत्र शुक्ला पंचमीका लिखा हुआ भग्न दशामे जूनागढ़ मिला है. जिसमें "केवलज्ञानसंप्राप्ताणा" पद मिलता है । इस पटके कारण क्योकि केवलज्ञान' जैनोंका एक पारिभाषिक शब्द है. बुल्हर आदि विद्वान् रुद्रसिंहको जैन धर्मानुयायी प्रगट करते है। जूनागढ़का 'वावा प्याराका मठ और अपरकोटकी गुफाओंको भी विद्वान् जैनोंकी बताते हैं। श्रुतावतारसे गिरिनगर (जूनागढ़) के निकट स्थित गुफाओंमे दि० जैन मुनियोंका होना सिद्ध है । इन इमारतोंको छत्रप रुद्रसिंहने ही संभवतः बनवाया था। शक संवत्के विषयमें कोई निश्चित मत नहीं है । फर्गुसनने
__ उसे कनिष्कका चलाया हुआ अनुमान किया सक-सम्बत। है। किन्तु आज उस मतके विरुद्ध अनेक
प्रमाण मिलते है । पण्डित भगवनलाल और जैक्सन सा० इस संवतको नहपान द्वारा गुजरात विजयकी स्मृतिमें।
१-आर्केलॉजिकल सर्वे रिपोर्ट ऑफ वेस्टर्न इन्डिया, भा० २ पृ० १४०. २-इऐ०, भा० २० पृ० ३६३ ..३-'श्रुतावतार में धरसेनाचार्यको गिरिनगरके निकटकी गुफाका निवासी लिखा है। (गिरिनगरसमीपे गुहावासी धरसेनमुनीश्वरो) और गिरिनगर जनागदका प्राचीन नाम है। (देखो फजाइ० पृष्ठ ६९८). ४-इऐ०, मा० २० पृ. ३६४.५-भाप्रारा० भा० १ पृ. ३. '