Book Title: Samurchhim Manushuya Agamik Aur Paramparik Satya
Author(s): Yashovijaysuri, Jaysundarsuri
Publisher: Divyadarshan Trust

View full book text
Previous | Next

Page 6
________________ संमूर्च्छिम मनुष्य : आगमिक और पारंपरिक सत्य प्रकाशकीय प्राक्कथन संमूर्च्छिम मनुष्य की कायिक विराधना को ललकारता हुआ लेख थोड़े समय पहले प्रगट हुआ । साधुत्व की शोभा सर्व जीवों के प्रति मैत्री और उनकी अहिंसा में समाविष्ट है । स्थानकवासी साधुमार्गी संप्रदाय के श्रीरामलालजी महाराज द्वारा लिखित 'संमूर्च्छिम मनुष्य : आगमिक सत्य' नामक लेख असंख्य संमूर्च्छिम मनुष्य की विराधना और उसकी अनवस्था का जनक न बने तदर्थ, पूज्यपाद सुविशाल गच्छाधिपति श्रीजयघोषसूरीश्वरजी महाराजा की आज्ञा अनुसार पूज्य आ. श्रीयशोविजयसूरिजी ने विस्तृत - आगमिक सबूत, चोटदार तर्क एवं हृदयस्पर्शी दृष्टांतों से समृद्ध एक निबंध तैयार किया, जो किसी भी तटस्थ विद्वानों को संमूर्च्छिम मनुष्य विषयक सत्य बाबतों का पूरक बनने में समर्थ है । इस निबंध से संमूर्च्छिम | मनुष्य विषयक एक स्थिर प्रकाश फैला है कि जो श्रीसंघ के लिए | चिरकालीन लाभदायी साबित होगा । समस्त श्रीसंघ को उपकारक साबित हो तदर्थ गुजराती एवं हिन्दी दोनों भाषा में यह निबंध प्रकाशित हो रहा है । पूज्य शास्त्रसंशोधक आचार्य भगवंत श्रीमुनिचंद्रसूरीश्वरजी महाराजा की प्रेरणा और आशीर्वाद इस कार्य में हमें सतत मिलते रहे हैं। पूज्यश्री ने प्रस्तावना लिख कर हमें उपकृत किया है। पूज्य आचार्य भगवंत श्रीजयसुंदरसूरीश्वरजी महाराजा की तर्कपूत और दृष्टियुत आगमपरिकर्मित प्रज्ञा ने इस निबंध को सर्वांगसुंदर बनाया है। साथ में पू. मुनिराज श्रीभव्यसुंदरविजयजी, पू. मुनिराज श्रीजिनप्रेमविजयजी, पू. मुनिराज श्रीकरुणादृष्टिविजयजी, पू. मुनिराज श्रीमौर्यरत्नविजयजी आदि विद्वान मुनिगण ने भी प्रस्तुत प्रबंध को पढ़ कर, सोच-विचार कर उपयोगी सूचन किए हैं। उन सब मुनिवरों के प्रति हम आभार व्यक्त करते हैं । प्रस्तुत निबंध को पुस्तिका का स्वरूप देने में उसके मुद्रणादि में सहायक श्रीदिगेशभाई, श्रीविशालभाई वगैरह धन्यवाद के पात्र हैं । सकलसंघहितचिंतक वर्धमान तपोनिधि स्वर्गस्थ पूज्यपाद गुरुदेव श्रीमद् विजय भुवनभानुसूरीश्वरजी महाराजा की दिव्यकृपा से हमारी संस्था को ऐसे लाभ सदैव मिलते रहे वैसी मंगलकामना । - L श्री दिव्यदर्शन ट्रस्ट की ओर से कुमारपाल वी. शाह आदि ट्रस्टीगण

Loading...

Page Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 ... 148