Book Title: Sammedshikhar Mahatmya
Author(s): Devdatt Yativar, Dharmchand Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 11
________________ (१४) पुत्ररत्न की प्राप्ति होती है। पीले वस्त्र पहनकर वंदना करने से अपरिमित धन्य-धान प्राप्ति । हरे वस्त्र पहन कर वंदना करने से वैरभाव व सब प्रकार की चिन्ताओं से मुक्ति __ होती हैं तथा काले वस्त्र पहनकर वंदना करने से सब प्रकार के असाध्य रोग मिट जाते है । सिन्द्रक्षेत्र तीर्थ परम है समान है गुमान । शिखर सम्मेद सदा होय पाप की हानि ।। धर्म ज्योति गिरिराज के सकल शिखर सुखदाय | निशिदिन बन्दों भाव युत कर्मकलंक नशाय ।। आचार्यो ने आगम ग्रन्थों में लिखा है कि इस. १२ योजन (८६) मील प्रमाण विस्तार वाले सिद्धक्षेत्र में भव्य राशि कैसी भी हो, अत्यन्त पापी जीव भी इसमें रहता हो/जन्म लेता हो तो भी ४८ जन्मों के बीच में कर्म नाश कर बन्धन मुक्त हो जाता है। सम्मेदशिखर तीर्थक्षेत्र अनादि निधन सदैव शाश्वत है इसका अस्तित्व कभी भी नष्ट नहीं होगा। अनादि काल से है तथा अनन्त काल तक रहेगा। . धर्मचंद शास्त्री प्रतिष्ठाचार्य

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