Book Title: Sammadi Sambhavo Author(s): Udaychandra Jain Publisher: Bharatiya Gyanpith View full book textPage 7
________________ POP वि या लिखा जाए गुरु परिचय काव्य-सृजक का भावि प. पू. मुनिकुंजर आचार्य श्री आदिसागर जी अंकलीकर जन्म : भाद्रपद शुक्ल 4, सन् 1866 अंकलीगाँव, महाराष्ट्र; दीक्षा : मार्गशीर्ष शुक्ल 2, सन् 1913 सिद्ध क्षेत्र कुंथलगिरि आचार्य पद : ज्येष्ठ शुक्ल 5, सन् 1915, काडगेमळा जयसिंहपुर, महाराष्ट्र; समाधि : फाल्गुन कृष्ण 13, सन् 1944, कुंजवन उदगाँव, विशेषता: श्रमण परम्परा के मुकुटमणि, सात दिन बाद आहार करने वाले । felspers STEP इस य अनुरूप जो भी जाएगा वह उसी समय महावीरवचन को प्राप्त वर्ष बाद लिखा जाने साहित्य इक्कीसवी निवद्ध होगा काही भी हमा अष्टादश भाषाभाषी आचार्यश्री महावीरकीर्तिजी महाराज जन्म : बैशाख कृष्ण 9, सन् 1910 फिरोजाबाद, उ. प्र. दीक्षा : फाल्गुन शुक्ल 11, सन् 1943 उद्गाँव, महाराष्ट्र आचार्य पद : अश्विन शुक्ल 10, सन् 1943, उद्गाँव, महा. समाधि : माघ कृष्ण 6, सन् 1972, मेहसाणा, गुजरात विशेषता: अष्टादश- भाषाभाषी, तीर्थ भक्त शिरोमणि, मंत्रशास्त्र के ज्ञाता । सूजन वात्सल्यरत्नाकार आचार्य श्री विमलसागर जी महाराज जन्म : आश्विन कृष्ण 7, सन् 1915, कोसमा, उ. प्र. दीक्षा : फाल्गुन शुक्ल 13, सन् 1952 सिद्ध क्षेत्र सोनगिरि आचार्य पद : मार्गशीर्ष कृष्ण 2, सन् 1960 टुंडला, उ. प्र. समाधि : पौष कृष्ण 12, सन् 1994, श्री सम्मेदशिखरजी विशेषता: पराविद्या के माध्यम से लोगों का उपकार करने वाले निमित्तज्ञानी संत । आ कम इस पर विचार न तपस्वी सम्राट आचार्य श्री सम्मतिसागरजी महाराज जन्म : माघ शुक्ल 7, सन् 1938, फफोतू, उ.प्र. दीक्षा : कार्तिक शुक्ल 12, सन् 1962 श्री सम्मेदशिखर जी आचार्य पद : माघ कृष्ण 3, सन् 1972, महसाणा समाधि : माघ कृष्ण 4, सन् 2010, कुंजवन, महाराष्ट्र विशेषता : 35 वर्ष तक अन्न, नमक, शक्कर, घी, तेल का त्याग, अन्तिम दस वर्ष केवल मट्ठा जल 48 घंटे में एक बार, दस हजार निर्जल उपवास।Page Navigation
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