Book Title: Sambodhi 2000 Vol 23
Author(s): Jitendra B Shah, N M Kansara
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 112
________________ क्रम | | विशिष्ट संदर्भ | किंचित् उल्लेखनीय उद्धरण प्रतीक | सेतु. के सर्ग एवं काव्यशास्त्रीय ग्रंथ पद्यक्रमांक धुअमेहमहुअराओ. १/१९ | स.कं. (पृ. ४२८) धूमाइ धूमकलुसे ५/१९ स.कं. (पृ. २५३) पडिआ अ. ११/५४ स.कं. (पृ. ५०८) पत्ताअ सीमराह. स.कं. (पृ. २४०) Vol. XXIII, 2000 १८. १९. उभय रूपक | रामदास रूपक और उत्प्रेक्षा अनुप्रास कारकपरिकर | करुणविप्रलंभ की व्यञ्जना ओजस्विनी वृत्ति रामदास-विकटोदरत्व | सेतुतत्त्व.-समाधि अलंकार | प्रयोजन के उपन्यास में | मूल. पद्य कुछ परिवर्तित पाठ के साथ. बहुत संभव है, मम्मट सेतु. से प्रेरित परिवड्डइ. १/१० का.शा. (४५६) प्रतापरुद्र. (पृ. ५) हुए हों। पीणपओहर. पुरिससरिसं. पुलयं जणंति. रामदास = रूपक १/२४ ११/१०५ काव्यशास्त्रीय ग्रन्थों में 'सेतुबन्ध' के कतिपये उद्धरण... रसाभास नरेन्द्रप्रभ में पद्य कुछ पाठान्तरित है। ११/७८ १/१७ | स.कं. (पृ. ४२९) संकीर्ण रूपक | स.कं. (पृ. ६९८) कृतज्ञता के लिए स.कं. (पृ. ५७६) अलं.महो (पृ.२८०) स.कं. (पृ. ६४९) विलाप स.कं. (पृ. २४२७) | उपमालंकार का.शा. (पृ. ३६१) निदर्शना स.कं. (पृ. ६९८) | स.कं. (पृ. ४३३) | 'पूर्वा' नामक दृष्टान्तोक्ति पुहवीअ होहिहि. रइअरकेसरणिवहं. विअसंतरअ. विअलिअविओ. विसवेओ. | रामदास-उपमा (पृ. १२) | सेतुतत्त्वचन्द्रिका दृष्टांत २७. २८. २९. । | मूर्छा ११/५७ ५/५० मम्मटादि की उत्प्रेक्षा रामदासश्यामीकरणत्वरूप ध्वनि

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