Book Title: Ratnatray Vidhan Author(s): Rajmal Pavaiya Publisher: Tirthdham Mangalayatan View full book textPage 3
________________ 'प्रकाशकीय मङ्गलायतन विश्वविद्यालय, अलीगढ़ में नवनिर्मित श्री महावीर जिनमन्दिर के पञ्च कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के अवसर पर आयोजित होनेवाले पूजन-विधान की श्रृंखला में रत्नत्रय-विधान का प्रकाशन करते हुए हमें अत्यन्त प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। . इस विधान के रचयिता कवि राजमल पवैया, भोपाल एक सिद्धहस्त कवि हैं, जिन्होंने अनेक विधानों, पूजनों एवं भजनों की रचना करके जिनवाणी के कोश को समृद्ध किया है। आपकी लेखनी में जहाँ भक्ति की तरलता विद्यमान रहती है, वहीं अध्यात्म की गम्भीरता भी पायी जाती है। इस विधान की पुस्तक के प्रकाशनकर्ता के रूप में श्री आनन्दीलाल जयन्तकुमार जैन, आनन्द मैडीकल परिवार, रतलाम द्वारा प्रदत्त सहयोग के लिए हम आभारी हैं। सभी जीव रत्नत्रय विधान के माध्यम से निज शुद्धात्मा को पहचानकर अपनी परिणति में रत्नत्रय प्रगट करते हुए मुक्तिमार्ग की आराधना करें -. इसी पवित्र भावना के साथ। पवन जैनPage Navigation
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