Book Title: Rajul Author(s): Mishrilal Jain Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala View full book textPage 4
________________ जैन चित्रकथा रात्री का प्रथम पहर। जूनागढ़ के राज महल के एक सज्जित कक्ष में महाराज उग्रसेन और उनकी पत्नी रानी चर्चा में व्यस्त हैं। स्वामी ! | अपनी बेटी राजुल विवाह योग्य हो गई है और आप | कोई चिन्ता नहीं करते । स्वामी ! तो क्या बिना प्रयत्न किये ही ...? हाँ देवी ! अनेक राजघरानों से बेटी राजुल के विवाह हेतु प्रस्ताव आ रहे हैं, पर.... 2 पर... पर क्या स्वामी ? देवी! इसमें चिन्ता करने .की क्या बात है। अपनी बेटी सुन्दर और सुशील है। मेरा मन नहीं करता। मैं राजुल का विवाह इरावती नगरी के राजा समुद्रविजय और शिवादेवी के पुत्र राजकुमार नेमिनाथ से करना चाहता हूँ।।Page Navigation
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