Book Title: Rajul
Author(s): Mishrilal Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 10
________________ जैन चित्रकथा | नेमिनाथ पशुओं के बाड़े का दरवाजा रवोल देते है। उनके हृदय में इससे जोसकून मिला वह उनके अधरों पर उभरी स्वर्गिक मुस्कान में दिखलाई पड़ी। बाड़े से निकलकर वध करने को लाये गये बन्दी पशु जंगल की ओर भागते है। मेरे विवाह से तुम्हारे EVA प्राण अधिक मूल्यवान नेमिनाथ के अधरों की मुस्कान विलीन सी हो जाती है। निश्चयात्मक गंभीरता दिखाई देती है। मैं लोक कल्याण और आत्म कल्याण के लिए सभी सांसारिक सुखों को छोड़ताहँ नेमिनाथसहसा एक जन विहीन पथ की ओर बढ़ने लगते हैं। सारथी आश्चर्य चकितरहजाता है। स्वामी । रथ इधर है। आप कहाँ जारहे हैं? 100

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