Book Title: Rajul
Author(s): Mishrilal Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 15
________________ राजुल चढ़ाई कठिन होती जाती है। राजुल पसीने सेनहाजाती धीरे-धीरे कठिनाई सेराजुल गिरनार है। पाँवों से खून निकलने लगता है। | पर्वत के शिरवर तक पहुँचती है।देखती है नेमिनाथ के बहुमूल्य वस्त्र-आभूषण (स्वामी तुमकहाँ हो ? एक स्थान पर पड़े हैं। Cc.. .. CAMA ( स्वामी प्रणाम और फिर राजुल की दृष्टि एक शिलारखण्ड पर पड़ी जहाँ नेमिनाथ पद्मा -सन नासिग्र दृष्टि ध्यानस्त दिगम्बर मुद्रा में विराज रहे थे... 13

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