Book Title: Rajul
Author(s): Mishrilal Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 19
________________ राजुल श्रमण नेमिनाथ ऊर्जन्त गिरनार पर्वत के शिरवर पर साधना रत है। वहाँ पर भी उनके दर्शन लाभ के लिए स्त्री-पुरुष बहुत उत्साह पूर्वक आ रहे हैं। श्रमणश्री कैसी महान तपस्या कर रहे हैं। | एक दिन सहसा एक दिव्य आलोक । तेजोवलय श्रमण नेमिनाय के चारों ओर फैल गया। श्रमण नेमिनाथ को केवलज्ञान प्राप्त हुआ। तीर्थंकर नेमिनाथ भगवान । की जय ! ( OM 17

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