Book Title: Rajul
Author(s): Mishrilal Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 22
________________ जैन चित्रकथा स्वामी। तीर्थंकर का पद देवलोक के स्वामी से भी लम बड़ा होता है क्या? ट बल हाँ देवी! यह केवलज्ञान क्या होता है स्वामी? कुछ समझ में नहीं आया स्वामी। कुछ विस्तार से बताइये न। ज्ञान की पूर्णता को केवलज्ञान कहते हैं। हम दिरवने वाली वस्तुओं को देखते हैं। ज्योतिष ज्ञान से बीती हुई और आने वाली बातोंको जानते हैं परन्तु केवलज्ञान एक साथसब को जानता है। 20

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