Book Title: Rajul
Author(s): Mishrilal Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 24
________________ जैन चित्रकया इन्द्र, इन्द्राणी, देवी-देवता गिरनार पर्वत पर जाकर तीर्थकर नेमिनाथ की वन्दना करते है। हे प्रभु! हम आपकी वन्दना कर धन्य हुए स्वर्गलोक आज आपके श्रीचरणों में नत Y कुबेर अद्भुत धर्म सभा-समोशरण की रचना करते हैं। मुनि, साध्वी, देवी, देवता,राजा,महाराजा, पशु-पक्षी तक अपने-अपने दायरे में हैं। सहस्त्र पंरतुरी कमल पर, उसको छुएबिना तीर्थंकर विराजे हैं। 22

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