Book Title: Rajul
Author(s): Mishrilal Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 23
________________ राजुल देव ! आपके साथ मैं भी तीर्थंकर नेमिनाथ के दर्शनों की चलूँगी। तुम अकेली ही क्यों देवी ! तीर्थंकर प्रभु की वन्दना के लिये सभी देवी-देवता भों चलेंगे। देवराज इन्द्र के इस निर्णय को सुनकर सभा में उपस्थित सभी देवी देवता प्रसन्न होते हैं। देवताओं के मध्य एक की ओर इन्द्र संकेत करते हैं कुबेर! तीर्थंकर की धर्म सभाएँ HAI होंगी। संसार को उनकी दिव्य वाणी सुनने का सौभाग्य प्राप्त होगा। इन धर्म सभाओं की व्यवस्था तुम्हें करनी है। ISEDIA जो आज्ञा स्वामी। NEGIRLS

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