Book Title: Rajul Author(s): Mishrilal Jain Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala View full book textPage 29
________________ राजुल सम्पूर्ण देश का भ्रमण करके तीर्थंकर नेमिनाथ गिरनार पर्वत पर लौटते हैं और कार्योत्सर्ग मुद्रा में साधना में रत हो जाते हैं। समीप एक एक पर्वत पर अनेक दिगम्बर श्रमण पद्मासन मुद्रा ध्यान मग्न हैं। Kavi Anti *** एक अन्य पहाड़ी पर श्वेत सारिका-धोती पहने साध्वियाँ पद्मासन मुद्रा में साधना में लीन हैं। 27Page Navigation
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