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राजुल
सम्पूर्ण देश का भ्रमण करके तीर्थंकर नेमिनाथ गिरनार पर्वत पर लौटते हैं और कार्योत्सर्ग मुद्रा में साधना में रत हो जाते हैं।
समीप एक एक पर्वत पर अनेक दिगम्बर श्रमण पद्मासन मुद्रा ध्यान मग्न हैं।
Kavi Anti
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एक अन्य पहाड़ी पर श्वेत सारिका-धोती पहने साध्वियाँ पद्मासन मुद्रा में साधना में लीन हैं।
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