Book Title: Rajul
Author(s): Mishrilal Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 13
________________ बेटी ! राजकुमार नेमि दिगम्बर संन्यासी बन गये हैं। उन्हें सान्सारिक मार्ग पर लाना असम्भव है। | बेटी! यह असंम्भव है। नेमिनाथ को भूल जा इसी में तेरा कल्याण दिगम्बर श्रमण प्राण दे सकते हैं| परन्तु एक बार मुनिधर्म ग्रहण करने के बाद मुनिधर्म नहीं छोड़ते । राजुल CONNERO KRIDALC 11 माँ जिन्हे पशुओं की करुण पुकार संन्यासी बना सकती हैं उन्हे नारी की करुण याचना वापस भी ला सकती है। mialys क्यों माँ ! माँ ! देखना तो सही मैं अ रूप और कौशल से उन्हें लौटा लाऊँगी

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36