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राजुल चढ़ाई कठिन होती जाती है। राजुल पसीने सेनहाजाती धीरे-धीरे कठिनाई सेराजुल गिरनार है। पाँवों से खून निकलने लगता है।
| पर्वत के शिरवर तक पहुँचती है।देखती
है नेमिनाथ के बहुमूल्य वस्त्र-आभूषण (स्वामी तुमकहाँ हो ?
एक स्थान पर पड़े हैं।
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( स्वामी प्रणाम
और फिर राजुल की दृष्टि एक शिलारखण्ड पर पड़ी जहाँ नेमिनाथ पद्मा -सन नासिग्र दृष्टि ध्यानस्त दिगम्बर मुद्रा में विराज रहे थे...
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