Book Title: Purudev Champoo Prabandh
Author(s): Arhaddas, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 425
________________ ३८६ पुरुदेवचम्पूप्रबन्धे मध्यम सिंहनिष्क्रीडितका यन्त्र ३४४५५६६७७८८ ८८७७६६५५४४३३२२११ ११११११११११११११११ उत्कृष्ट सिंहनिष्क्रीडितका यन्त्र ११११११११११११ १ १ १ १ १ १ १ १ १ १ १ १ ११२२३३४४५५६६७७८८९९१०१०११११ १२ १२ १३ १३ १४ १४ १५ १५ १५१५१४१४१३ १३ १२१२१११११०१०९९८८७७६६५५४४३३२२११ १ १ १ १ १ १ १ १ १ १ १ १ ११११११११११११११११ सर्वतोमद-पृष्ठ ६९ कि सब ओरसे गिनने पर पन्द्रह-पन्द्रह उपचासोंकी इसमें ७५ उपवास और २५ पारणाएँ होती हैं। संख्या निकल आवे । इन पन्द्रह उपवासोंमें पाँचका गुणा १०० दिनमें व्रत पूर्ण होता है। इसकी विधि जानने- करनेसे उपवासोंकी संख्या ७५ और पाँच पारणावोंमें के लिए एक पाँच भंगका चौकोर प्रस्तार बनावे और पाँचका गुणा करनेसे २५ पारणाओंकी संख्या निकएकसे लेकर पाँच तकके अंक उसमें इस तरह भरे लती है। इसकी विधि यह है-एक उपचास एकorary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only

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