Book Title: Purudev Champoo Prabandh
Author(s): Arhaddas, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 466
________________ समुन्नतवंशपोत ऊँचे बाँससे युक्त जहाज, कुलीन बालक सर-हार सरसत्व- सरसता, सजलता सरः स्थिति - सर स्थिति सर्वतोमुख पानी, सब ओर फैलने वाली सरोवर की स्थिति, हारकी स्थिति सर्वतोभद्र - एक तप सहकार - सुगन्धित आम सहस्रनेत्र-इन्द्र संक्रन्दन - इन्द्र संग्रामसिंह - युद्धमें शूर संजवन-वेग संजरीजृम्ममाण - बढ़ता हुआ संत्रासन -भय देने वाला संवेग - संसारसे भय सागर-असंख्यात वर्ष साधुचक्र सज्जनोंका समूह, उत्तम चकवा सामि- अल्प सामोद - हर्ष सहित, गन्ध सहित सार्वभौम सिद्ध मातृका - वर्णमाला सिद्धार्थ वृक्ष समवशरण के वृक्ष विशेष 'सिद्धाच सनाथ सिद्ध प्रतिमाओं से सहित सिन्धुरन्ध-हाथी सिंहनिष्क्रीडित- एक व्रत सुत्रामा-इन्द्र सुत्रामचापोत्कर उच्च दिग्गज विशेष, समस्त भूमिका स्वामी सिकता - बालू 'सितच्छद - हंस सिता- मिश्री इन्द्रधनुषों का समूह सुदती - सुन्दर दाँतों वाली स्त्री ४. (८४). १.७५ Jain Education International परिशिष्टानि १. (२६). १५ ९.११.३३० ४.३२.१६१ २. (५०).६९ ३. (४२.) १११ ५. (३७).२०९ १. (७१). ३४ ६.४६.२४९ ५. (१९). २०० १. (१३).९ १.४.३ ७.२३.२७९ ३. (२१) १०४ २. (९८ ) . ८८ ४. (२३). १५० सुधासूति - चन्द्रमा सुपर्वनदी - गङ्गा नदी सुपर्वपर्वत - सुमेरुपर्वत सुपर्वराज १०.८.३५२ १.१.१ ३.४३.१२४ ४.३६.१६३ ९.३.३२२ ४.३६.१६३ ७. (५) २५४ ८. (५२).३०४ ८. (५८) ३०४ सुदृश् सम्यग्दृष्टि, सुन्दर नेत्रों वाली स्त्रियाँ चूना - कलई २.२२.५९ सुधा सुधा-अमृत सुधावदाता चूना के समान उज्ज्वल पूर्णिमा का चन्द्र, इन्द्र सुपर्वराज- इन्द्र सुपर्वाचित सुप्रतीक देवों से पूजित, उत्तम परतों से सहित इन्द्रधनुष सुरगुरु प्रतिच्छन्द दिग्गज विशेष, सुन्दर शरीर वाला सुमनस् - देव, पुष्प सुमनोजात बृहस्पति के तुल्य पुष्पसमूह, विद्वत्समूह, उत्तम काम देव, देव समूह सुमनिकर- पुष्पसमूह सुमचाप कामदेव सुमनोमाला सुरतानन्द ५.१०.१९९ ३.८.१०२ २.५०.६९ ४. १८.१४८ सुरतरुचिरलीलास्पद ८.२८.३०० ३. (४५).११३ २. (५).५० फूलों की माला, विद्वानों का समूह सुरता- देवत्वका आनन्द, सुरतसंभोगका आनन्द २.७१.९६ १.२१.१४ ३. (४५).११२ १. (१०१).४६ सुमित्रानन्दन उत्तम मित्रों को आनन्द देने वाला, सुमित्रा का पुत्र - लक्ष्मण सुनाशीर शरासन ४.५४.१७२ ७. (१९) २६२ For Private & Personal Use Only ४२७ १.१६.११. ३.४३.१२४ ३.१५.१०२ २.४१.७९ ३.(१०५).१३२ १.१.१ १.७२.४५ ६. (३३).२३४ सुरतरु - कल्पवृक्षोंकी चिरलीलाका स्थान, सुरत- संभोगकी रुचिरमनोहर लीलाका स्थान ७ (१७) २५९ ८. (१९).२८७ ४. (२३).१४९ ७. (३).२५३ www.jainelibrary.org

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