Book Title: Purudev Champoo Prabandh
Author(s): Arhaddas, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 465
________________ ४२६ पुरदेवचम्पूप्रबन्धे शुभतरलरक्ष २.(१०).५३ सत्पथअत्यन्त शुभ लाक्षा-महावरसे युक्त, समीचीन मार्ग, आकाश .. शुभ और चंचल नेत्रोंसे युक्त सत्पति ३.(११५).१३६ श्यामा ६.२७.२३७ नक्षत्रों का पति-चन्द्रमा, सज्जनों यौवनवती का पति श्रितजनतति१.१.१ सदागतिस्वभाव ४.४३.१६८ आश्रित जनसमूह वायु के समान स्वभाव वाला, सदा + श्रीपति ६.१०.२२७ अगति-निर्वाण स्वभाव वाला भगवान् वृषभदेव सदानन्दी ५.३२.२१४ श्रीमान् - सदा हर्षित रहने वाला, सत्पुरुषोंको शोभासहित, अनन्तचतुष्टयरूप आनन्दित करने वाला लक्ष्मी से युक्त सदापरागरुचिशोमित- . .. ६.(५).२२४ श्रतज्ञान २.(३१).६२ सर्वदा मकरन्दकी कान्तिसे एक तप शोभित, सदा + अपराग-वीतश्वसुर्य २.(७०).७८ रागतासे शोभित श्वसुर का पुत्र सद्दशनतिग्मरश्मि ३.३०.११६ ...सम्यग्दर्शन रूपी सूर्य [ष] सद्वृत्तरत्न ३.(९).९९ परङ्गवाहिनी १०.२२.३५६ • सदाचाररूपी रत्नसे सुशोभित, हाथी, घोड़ा, रथ, पयादे, बैल और सत्-रेखादि दोषोंसे रहित गोल गन्धर्व इन छह की सेना रत्नोंसे सुशोभित सपशोमित- १.(१०१).४६ 1 [स] सत्-उत्तम रूपसे शोभित, सत्-द्रु-. सकलकल ६.(२६).३२२ उप-शोभित-अच्छे वृक्षोंसे सुशोकलकल शब्द से सहित, सकल भित। कलाओं से सहित १.(६६).३३ सकलभुवनभृत् ५.(१५).१९७ पूजा समस्त मेघ, समस्त राजा सप्तपर्णोपशोभित ८.(४५).२९९ सकलमहीभृन्मस्तक ६.(५).२२४ सात पत्तोंसे शोभित, सप्तपर्ण समस्त पर्वतों के शिखर, समस्त . . नामक वृक्षोंसे शोभित राजाओं के मस्तक समरेखिका १.३४.२० सकललेख १०.(६५).३७१ . नायिका, तलवार समस्त देव समस्तहरित् १०.२६.३६१ सज्जधनोज्ज्वल २.६.५२ . समस्त दिशाएँ सजल मेघों के समान शोभमान, समा-वर्ष ३.५१.१३० सुन्दर नितम्बों से सुशोभित समासीन १.१.१ सज्जनक्रमकर ५.(८).१९३ समवसरणमें स्थित सज्जनों के क्रम को करने वाला, समोरकिशोर १.(९१).४१ तैयार मगर-मच्छों से युक्त मन्द वायु सपा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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