Book Title: Purudev Champoo Prabandh
Author(s): Arhaddas, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 455
________________ ४१६ जातकर्मोत्सव जन्मसंस्कारका उत्सव जामी बहिन जितासमशर कामदेवको जीतनेवाले जिनगुणसंपत्ति एक तप जिनचन्दिर जिनेन्द्ररूपी चन्द्रमा जिनचण्डदीधिति __ जिनसूर्य जिनपोत- जिनबालक जीवंजीवंप्रति प्रत्येक जीवको, चकोरको जीवितान्तकालिक___ मरण समय होनेवाला जैत्र विजयशील जैष्णव चक्रवति सम्बन्धी पुरुदेवचम्पूप्रबन्धे ५.२०.२०७ तारापथ ४.(९५).१८० आकाश ६.१५.२२९ तारोल्लास ६.२३.२३४ नक्षत्रोंका उल्लास, अत्यधिक ६.४८.२५० आनन्द तेजन ४.(२३).१५० २.(३०).६१ बाँसके वृक्ष त्रिदशद्विप ४.६२.१७७ १.(८२).३७ ऐरावत हाथी त्रिदशाधिकस्नेह ४.(५८).१६५ ४.४२.१६७ देवोंका अधिक स्नेह, तीन बत्तियाँ और तैल ४.६३.१७८ त्रिदशोपसेवित १.४८.३२ तीन बत्तियोंसे सेवित, देवोंसे १.३.३ सेवित त्रिदोषसंभवामय ६.(२).२२२ १.(५०).२७ वात, पित्त और कफ इन तीन दोषोंसे होनेवाले रोग १.५.४ त्रिवर्गप्राप्ति ५.२२.२०८ धर्म, अर्थकामकी प्राप्ति ९.३३.३४४ त्रिसाक्षिक ७.३९.२७६ इन्द्र, सिद्ध और आत्मा इन तीनकी साक्षी पूर्वक [त ] शरीर तडिल्लताविलसित१.(५२).२८ दक्षिणमरुद्वर २.(३५).६३ बिजलीकी कौंध दक्षिण दिशासे आनेवाली मलयतनु १.(२६).१५ समीर, उदारहृदय-श्रेष्ठदेव . दंदशूक १.(७५).३५ तपनबिम्ब ५.(१९).२०० सर्प सूर्यमण्डल दन्तावल १.(४८).२५ तमोनाशन २.२.२ हाथी अज्ञान और अन्धकारको नष्ट करने दम्मोलि १.१०.५ वाला वन तरङ्गित१.(१३).६ १.(२६).१५ बढ़ा हुआ शंख तुला२.४८.८२ दपककेलिकाल २.६८.९५ तुलाराशि, उपमा कामक्रीड़ाके समय तुलिताङ्गज१.६३.४० दिनमणि ४.३८.१६५ कामदेवकी तुलना करनेवाला सूर्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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