Book Title: Purudev Champoo Prabandh
Author(s): Arhaddas, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 460
________________ मंग परिशिष्टानि ४२१ बाहा६.३३.२४१ मंजुलास्यविराजित ४.(८२).१७५ बाहु-भुजा मंजु--मनोहर लास्य-नृत्यसे सुशोवृत्राहित ७.(१२).२५७ भित, मंजुल-मनोहर आस्य-मुखसे सुशोभित ब्रह्म७.(१२).२५७ मण्डलान ६.(३३).२३४ ज्योतिषशास्त्रका एक योग तलवार मदकण्डूल १.(६१).३० [भ] मद की खुजली से युक्त ५.(६).१९१ मदनसहकार ३.(४२)१११ तरंग, पराजय काम का सहायक भगवदास्थान१०.(४६).३६४ मधु १०.२.३४९ भगवान्का समवसरण वसन्त भरत शास्त्र७.(५).२५४ मधुकरावतात ५.२४.२११ नाट्य शास्त्र भ्रमरपंक्ति भव८.२४.२९९ मधुप २.(९८).८७ संसार, महादेव मद्यपायी, भ्रमर मववाराशि ४.६३.१७८ मन्दगन्धवह १.(१३).९ संसार समुद्र मन्दवायु भुजान्तर४.(९५).१८० मन्दराग ४.(१०१).१८२ मन्द प्रीति का धारक, मन्दर + वक्षःस्थल भुवनपति ५.(७).१९१ अग-मन्दर गिरि-सुमेरु राजा, जलपति मन्दरोद्यान १.(१०१).४६ भूदेव मेरु पर्वत का बगीचा १०.३०.३६४ ब्राह्मण मन्द्रतम १.(१७).११ भ्रमरहित १.१.१ गम्भीर-जोरदार भ्रमसे रहित, भ्रमरोंके लिए मन्मन ६.(५०).२४२ हितकारी बच्चों को अस्पष्ट बोली भ्रमराजित२.(१०).५२ मराली ४.(२३).१४८ भ्रमरोंसे अपराजित, भ्रम-भँवरके हंसी समान सुशोभित मलयज २.८.५५ चन्दन [म] मल्लिकामतल्लिका ३.४२.१११ मंजुलका १.(१३).७ श्रेष्ठ मालती मनोहर कमल महाघ ५.(३२).२०७ मंजुमंजीर १.(१७).११ महामूल्य मनोहर नूपुर महादर्श ४.३४.१६२ मंजुलकुचोज्ज्वल ७.(३).२५३ अमावास्या, महादर्पण मंजुल-मनोहर कुचोंसे उज्ज्वल, महाप्रव्रज्या ८.(७२).३१८ मंजु-मनोहर लकुचोंसे उज्ज्वल दिगम्बर दीक्षा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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