Book Title: Purudev Champoo Prabandh
Author(s): Arhaddas, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 458
________________ पंकजात कमल, पंचता पाँच संख्या पंचता पंचशर पाँच संख्या, मृत्यु कामदेव पंचेषुपट्टकरणी पतंग कामको उत्तेजित करनेवाली पापोंका पक्षी, सूर्य, पतिब्रुव कन्या पत्री बाण पत्रिपति गरुड पद्मबन्धुबिम्ब समूह अपने आपको झूठमूठ पति कहने वाले पतिंवरा सूर्यमण्डल पम्फुल्य मानमल्लिका तल्लजखिलती हुई श्रेष्ठ मालती पयोधर मेघ, स्तन परचक्रकलित परसैन्यकृत परिगति परम + ऊह — तर्कका कथन, दूसरेके मोह - विभ्रमका कथन प्रदक्षिणा परिनिष्क्रमणदीक्षा कल्याण Jain Education International ८.४३.२९८ परिशिष्टानि पिछले ५. (५१). २१४ परिष्वंग ६.३१.२४० _३. (११६).१३८ परमहिमयुत परम उत्कृष्ट हिम — बर्फसे युक्त, परउत्कृष्ट महिमासे युक्त परमोहप्रतिपादन २. (८५).८३ २. (७०).७७ १.६८.४२ ६.१५.२२९ ९. (७).३२६ ९. (७). ३२६ ९. (४८). ३४४ १. (१३).९ २.(१०).५३ ९. (४८). ३४३ ६.६.२२५ १. (३३).१९ ८.२५.३०८ पश्चिम ७. (५०). २७५ आलिंगन परिमलित मलिन, परिमल - सुगन्धसे युक्त पल्लव नयी कोंपल, पद-परका तलनीचेका भाग पाकाहित इन्द्र पाटीरगिरि मलयाचल पाथोज - कमल पाद पैर, प्रत्यन्त पर्वत पाद चरण, कान्तारचर्या - वनमें आहार लेनेका नियम पापचक्र किरण पापोंका समूह पापी, चकवे पापावग्रह पापरूपी वृष्टिका प्रतिबन्ध पार्थिव राजा, मिट्टी के घड़े पूर्वक्षमाघर उदयाचल पूर्वपक्ष शंकापक्ष, कृष्णपक्ष पृतनाधिराज सेनापति पुरन्दरकाष्ठा पूर्वदिशा पुरन्दरमणि इन्द्रनीलमणि पुरन्दर सुन्दरी इन्द्राणी ४१९ ८. (१७). २८७ २. (१६).५६ १. (१३). ९ For Private & Personal Use Only ६.११.२२७ ७. (३२).२६९ ६.(३६).२३५ १.१५.१० १. (१३).८ ४.(४६).१६९ ३.९.१०२ ६.२७.२३७ ८. (७८) ३१९ १०.१२.३५३ ६.१२.२२८ ५. (५३). २१५ ३.२.९७ ५. (३२)२०७ ७. (१७).२५९ ७. (५०).२७६ www.jainelibrary.org

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