Book Title: Purudev Champoo Prabandh
Author(s): Arhaddas, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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निष्ठा
स्तुति
४१८
पुरुदेवचम्पूप्रबन्धे नरमणीद्ध२.(९५).८७ निलिम्प
७.(५०).२७५ श्रेष्ठ मनुष्योंसे सुशोभित
देव नरसार्थ३.४४.१२४ निलिम्पकरमुक्त
१०.(२८).३५९ मनुष्य समूह
देवोंके हाथोंसे छोड़े हुए नरोचितवृत्ति४.(८४).१७६ . निलिम्पनटी
८.(४९).३०१ असुन्दरवृत्तिवाला, मनुष्योंके योग्य
देवनर्तकी वृत्तिवाला
निलिम्पपति
४.(७२).१७१ नवन
४.(८२).१७५ स्तवन
निशान्त
२.(१).४८ नाग
४.(७८).१७२ प्रभात हाथी
५.११.२०१ नान्दी
५.(३७).२१० समाप्ति नाटकके प्रारम्भमें की जानेवाली
निस्त्रिशजा
९.२२.३३७
तलवारसे उत्पन्न, क्रूर मनुष्यसे नाभिजात
४.(८४).१७६ उत्पन्न असुन्दर, नाभिराजसे उत्पन्न
नीप
२.(२१).५८ नालीक
५.४०.२१९ कदमका वृक्ष कमल
नीरजात
२.(२१).५८ निचय
कमल समूह
नीरजाक्षी
७.२५.२७० निधनद
कमलनयना मृत्युदायक
नीराजित
२.३२.७५ निधिराट
९.२३.३३८
आरती उतारा हुआ चक्रवर्ती
नीरसहित
३.(९२).१२९ नियन्ता
९.२१.३३७
जलसे सहित, नीरस मनुष्योंके लिए नियन्त्रण करनेवाला
हितकर नियुद्धशिल्प१०.२४.३६० नीरसत्व
९.११.३३० बाहु युद्धसम्बन्धी चतुराई
नीरसता, जलका सद्भाव निर्जरजन४.(२३).१४९ नीरेक
१०.१३.३५४ देवसमूह, तरुणसमूह
शंकारहित निर्दोष विष्वण८.(१५).२८५ नीलाचल
१०.(२४).३५७ निर्दोष आहार
एक कुलाचल निधूममंजरी१.२२.१४ नीवा
२.६८.९५ प्रज्वलित ज्वाला
__ स्त्रीके अधोवस्त्रकी गाँठ निर्मलमानस१.६.४ नेत्र
६.९.२२६ स्वच्छमनरूपी मानसरोवर
वस्त्र, नयन निवृतिमन्दिर
६.५.२२५ मोक्षस्थान निवेग७.२३.२६९ पंक
५.(१५).१९७ वैराग्य
कीचड़, पाप
१०.६६).३५०
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