Book Title: Purudev Champoo Prabandh
Author(s): Arhaddas, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 442
________________ परिशिष्टानि ४०३ चन्द्रमति३.(८६).१२७ [त] चित्रांगदका पिता त्रायस्त्रिंश ४.(७८).१७३ चन्द्रसेन २.(४८).६७ देवोंका एक भेद एक मुनि त्रिभुवनकमन ७.(१९).२६१ चलित ९.(४८).३४४ __ भगवान् वृषभदेव एक म्लेच्छ राजा त्रिभुवनगुरु ७.(१७).२४८ चित्रमालिनी ३.(८६).१२७ भगवान् वृषभदेव प्रशान्तमदनकी माता चित्रांगद ३.(८६).१२७ वानरार्यका जीव दण्ड १.(५०).२६ चित्रांगद ३.(६४).११८ महाबलका वंशज एक विद्याधर एक देव, शार्दूलका जीव दमधर ३.(१८).१०३ चिन्तागति ३.(१२).१०१ एक मुनि वनजंघका एक दूत दिवाकरप्रम ३.(२६).१०६ [ज] ऐशान स्वर्गका एक देव, भरत चक्रवर्तीका पूर्वभव जम्मद्विषत् ४.६२.१७७ देवदेव ६.१८.२३१ सौधर्मेन्द्र भगवान् वृषभदेव जयकीर्ति २.(४८).६७ देवराज ४.(१०९).१८७ चन्द्रकीर्तिका मित्र सौधर्मेन्द्र जयन्त ३.५३.१३१ देवल २.(२७).६० वानरार्यका जीव पलालपर्वत ग्रामका एक ग्रामकूट जयन्ता २.(५९).७३ धनंजय राजाकी स्त्री (ग्रामका स्वामी) जयवर्मा२.(५३).७१ दृढधर्म ३.(४७).११४ गन्धिल देशकी अयोध्या नगरीका एक मुनि राजा दृढवर्मा २.(६).५१ जयवर्मा १.५३.३५ ललितांगदेवकी देवांगना, स्वयंश्रीषेण और श्रीसुन्दरीका पुत्र, प्रभादेवीकी अन्तःपरिषहका एक महाबलका पूर्वभव जयसेन२.(६०).७४ दोबलो १०.२२.३५९ राजा महासेन और वसुन्धराका पुत्र बाहुबली जयसेन २.(२५).६० नागदत्त और सुदतीका पुत्र [ध] जिनपतिशशी१.३.३ धनंजय २.(५९).७३ आदि जिनेन्द्र रूपी चन्द्रमा धातकीखण्डके पश्चिम मेरुसम्बन्धी जिनेश्वर ६.३९.२४६ पूर्वविदेहके पुष्कलावती देशकी भगवान् वृषभदेव पुण्डरीकिणी नगरीका राजा जिनसेनार्यगुरु१.१०.५ धनदत्त ३.(२९).१०६ आदिपुराणके कर्ता जिनसेनाचार्य धनभित्र सेठका पिता देव Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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