Book Title: Pratibodh
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Arunoday Foundation

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Page 26
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कितना तोते को पढाया पर४ वो५ है६ वाँ ही रहा ! तोता भले ही मुंखसे "राम राम" बोलता रह; किन्तु वह नहीं जानता कि राम कौन थे और उनमें कोण-कोण से गुण थे -- इसलिए वह उन गुणों का पालन भी नहीं कर सकता । गुणों को जीवन में उतारे बिना कोई आदमी नहीं हो सकता : "मानता हूँ- हो फरिश्ते शेखजी आदमी होना मगर दुश्वार है !" कोई व्यक्ति फरिश्ता (देव) हो सकता है, परन्तु आदमी (मानव) होना बहुत कठिन है । इस शेर में मनुष्यता को ही दुर्लभ बताया गया है । मानवता हमारे जीवन का लक्ष्य होना चाहिये । एक विद्यालय में निरीक्षक महोदय पहुँचे । विद्यालय की सर्वोच्च कक्षा में जाकर छात्रों के सामने एक प्रश्न रकरवा :-- “तुम विद्यालय में पढ़ने क्यों आते हो ?" इस प्रश्न का सब छात्रों से लिखित उत्तर माँगा गया । प्रत्येक छात्र ने उत्तर लिखकर अपना कागज निरीक्षक महोदय को दे दिया । प्राप्त उत्तरों में से कुछ ये थे :“इस प्रश्न पर विचार करने के लिए अधिक समय चाहिये ।" “इस प्रश्न का उत्तर हमारी पाठ्यपुस्तक में कहीं नहीं मिलत;" “यदि आप इसका उत्तर जानते है तो हमसे क्यों पूछते हैं ?' “मैं आपंक समान निरीक्षक बनना चाहता हूँ।' “मे डाक्टर बनना चाहता हूँ ।” “मे इंजीनियर बनना चाहता हूँ।" “में बैरिस्टर बनना चाहता हूँ ।" “मे मिनिस्टर बनना चाहता हूँ ।” “मे मास्टर बनना चाहता हूँ ।” १. मानवता । ३. विद्या ५. पशुता वाला प्राणी २. वस्तु । ४. वह For Private And Personal Use Only

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