Book Title: Pratibodh
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Arunoday Foundation

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Page 105
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org. (७) आज वैज्ञानिक सामग्री के आविष्कारों से सुख पाने की लालसा के कारण टेलीवीजन, रेडियो, कार, रेफ्रीजरेटर, स्टीरियो, केसेट टेपरिकार्डर आदि में हजारों रूपये लोग खुशी से खर्च कर देते हैं; परन्तु परोपकार या सार्वजनिक हित के कार्यो पाँच-दस रुपये भी बहुत मुष्किल से देते हैं। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (८) नीम के पेड़ दुनिया में अधिक हैं, आम के कम कांटे अधिक हैं, फूल कम पत्थर अधिक हैं, रत्न कम ! उसी प्रकार दुर्जन अधिक हैं, सज्जन कम । दुष्ट हमेशा शिष्टों को परेशान करते रहते हैं । कुछ लोगों की आदत ही होती है कि जब तक किसी से झगड नहीं लेते या दस-पाँच गालियाँ नहीं बक लेते, तब तक उन्हे भोजन ही नहीं भाता ! १०४ भविष्य के इस चित्रण को (जो इस समय हम देख रहे है' ) स्वप्न फल के रूप में सुनकर संसार से पुण्यपाल को विरक्ति हो गई। उन्होने प्रभु महावीर से संयम ग्रहण करके आत्मकल्याण के पथ पर कदम बढा लिया । धन्य हो गया- उनका जीवन !!! For Private And Personal Use Only

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